Tuesday 28 July 2015

कुरान में विज्ञान पार्ट-14(लोहा केसे पृथ्वी पर आया )

लोहे का स्रोत -
आधुनिक युग में खगोलशास्त्रियों ने यह खोज की है कि पृथ्वी पर जितना भी लोहा पाया जाता है, उसका उत्पादन पृथ्वी पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में फैले हुए बड़े- बड़े सितारों पर हुआ था और सुपरनोवा धमाके और उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से यहां तक पहुंचा है। क़ुरआन ने लोहे के पृथ्वी के बाहर से यहां आने की बात 1400 वर्ष पूर्व ही बता दी थी। 
‘‘..और हमने लोहा उतारा जिसमें बड़ा ज़ोर है और लोगों के लिए लाभ है...।’’ (क़ुरआन , 57:25) 

यहां नाजिल किया मतलब ‘‘उतारा’’ शब्द इस ओर संकेत कर रहा है कि लोहा पृथ्वी पर उत्पन्न नहीं हुआ बल्कि बाहर से आया है। 
लोहे का बनना बहूत साल पेहले अंतरिक्ष मैं हुआ था और वहाँ पर जहाँ का तापमान सूरज से भी ज्याद होता हैं सूपरनौवां मैं यह खोज विज्ञान ने 20 वी शताब्दी मैं की लोहा पृथ्वी पर उत्पन नही हुआ बल्के अंतरिक्ष से आया हैं और कुरान मैं जो शब्द इस्तेमाल हुऐ हैं वो हैं ' नाजिल ' मतलब लोहे को पृथ्वी पर नाजिल किया उतारा 
कुरान मैं जो सुरा इस्तेमाल हुई 'अल-हदिद' उसकी अब्जाद calculaton भी 57 हैं लोहा पृथ्वी के बीच मैं पाया जाता है, और हम मुसलिम जनते हैं पवित्र कुरआन मैं 114 सुरा हैं , जो सुरा सेंटर मैं हैं बिच में उसका नाम ही हदिद हैं मतलब ' लोहा ' और यह सुरा कुरआन मैं बिल्कुल बिच मैं हैं जो अपने आप मैं खुद एक चमत्कारी निशानी हैं । 
सुभान अल्लाह पवित्र कुरआन अल्लाह की नाजिल की हुई किताब हैं जिसे हर चीज़ का पूरा इल्म हैं । अल्लाह (ईश्वर) सुब्हान व तआला की कोन कोन सी नेमतो को जुठलाओगे....?? 
क्या कोई बता सकता है कि 1400 साल पहले ये कौन जानता था कि पृथिवी पर जो लोहा पाया जाता है उसका उत्पादन पृथिवी पर नहीँ बल्कि अंतरिक्ष मे बडे - बडे सितारोँ पर हुआ था ये बता पाना किसी ईन्सान के लिए 1400 साल पहले सम्भव ही नहीँ था

कुरान ए पाक अल्लाह का कलाम है जो आज साबित हो चुका है 
PRF - VIDEO 
https://m.youtube.com/watch?v=SdspgcduzUM

बादलों से प्रकाश का निकलना हदीश से साबित .@

बादलो से प्रकाश का निकलना : सही मुस्लिम की एक हदीस मे नबी ए अकरम (सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम) ने कयामत का ज़िक्र फरमाते हुए इरशाद फरमाया जिसका मफ़हूम है : ""क्या तुमने नहीं देखा की (बादलो से) प्रकाश (lighting) नीचे आता है और वापस जाता है केवल एक पलक झपकने के बराबर के समय मे।"" इस हदीस और प्रकाशिक-ज्योति (lighting flash) की हाल फ़ीलाल की खोजो मे काफी गहरी समानताएँ है विज्ञानिको के अनुसार प्रकाश-ज्योति (lighting flash) तब निकलती है जब एक प्रकाश की किरण बादल (clouds) से निकलकर पृथ्वी की तरफ चलती है और फिर वापस बादल में चली जाती है। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तुफा (सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम) ने फरमाया। नबी-ए-अकरम (सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम) ने केवल प्रकाश की अवस्थाएँ ही नहीं बताई बल्कि उसका समय भी बताया की "उसका समय एक पलक झपकने के बराबर है। " विज्ञानिको ने माना है की बादलो से निकलने वाले प्रकाश की कई अवस्थाएँ होती है जिसमे से प्रमुख अवस्थाएँ प्रकाश का बादल से निकालना और वापस बादल मे जाना है। विज्ञानिको के अनुसार एक प्रकाशिक-ज्योति का समय 25/60 सेकेंड {25 fraction of 1 second} होता है और ये इतना ही समय है जितने समय मे मानुष्ये एक बार पलक झपकता है। क्या ये उस बात के समान नहीं है जो हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तुफा (सलल्लल्लाहु अलेही वसल्लम) ने 1400 साल पेहले बता दिया है ?

कुरान में विज्ञान पार्ट-13(चमकदार तारा,सीरियस स्टार)

सिरीअस (सियरियस) तारा (लुब्धक तारा) :- सिरीअस तारा आसमान का सबसे चमकदार तारे है जिसे क़ुरान मे "शिअरा" नाम से पुकारा गया है। "और वही शिअरा नाम के तारे का रब है।" (सूरः 53:49) सिरीअस और शिअरा जिसका नाम क़ुरान मे केवल सूरः नज्म की आयत 45 मे लिया गया है का तथ्ये बताने योगये है। क्युकी चक्र यानी ऑरबिट मे असमानता के कारण विज्ञानिको ने इसे बाइनरी स्टार का नाम दिया है। बाइनरी स्टार उन दो तारो को केहते है जिनके अलग-अलग चक्र होते है इसीलिये सिरीअस एक तारा नहीं बल्कि दो तारे है जिन्हे सिरीअस A और सिरीअस B केहते है। सिरीअस B की एक खासियत ये है की वो टेलिस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। क़ुरान की इसी सूरः की 9वी आयत मे इनके चक्र के बारे मे बताया गया है की : "फिर दो कमानो के बराबर और इससे भी कम फ़ासला रह गया।"(सूरः 53:9) ये दोनो सिरीअस एक ऐसी व्यवस्था मे चक्कर काटते है की उनके चक्र एक दूसरे से एक धनुष यानी कमान का आकार बनाते है और जो एक दूसरे तक 49.9 साल मे पहुचते है। इस विज्ञानिक तथ्ये की खोज 20 शताब्दी मे हावर्ड , ओटावा, और लीसेस्टेर की खगोल विज्ञान के विभागो ने की थी। जिसके बारे मे क़ुरान मे 1400 साल पेहले ही बता दिया गया था और ये चमत्कार इन दोनो आयतों को मिलकर पढ़ने पर समझमे आता है। "और वही शिअरा नाम के तारे का रब है।" (सूरः 53:49) "फिर उसका दो कमानो के बराबर और इससे भी कम फ़ासला रह गया।"(सूरः 53:9) इस सिरीअस तारे के बारे मे सूरः अन नज्म मे बताया गया है और अन नज्म का मतलब तारा (star) होता है। और इस सिरीअस के तारे एक दूसरे तक 49.9 सालो मे पहुचते है और इसके बारे मे क़ुरान की सूरः अन नज्म की आयत 49 और 9 मे ही बताया गया है जो की खुद एक चमत्कार है। —

कुरान में विज्ञानं पार्ट-12 (इन्सान को 3 अँधेरे में पैदा करना )

पवित्र कुरआन की चमत्कारी वैज्ञानिक निशानी - तीन अंधेरे पर्दों में सुरक्षित ,‘उदर‘ - ‘‘उसी ने तुम को एक जान से पैदा किया। फिर वही है जिसने उस जान से उसका जोडा बनाया और उसी ने तुम्हारे लिये मवेशियों में से आठ नर और मादा पैदा किये और वह तुम्हारी मांओं के ‘उदरोंरः पेटो‘ ,में तीन तीन अंधेरे परदों के भीतर तुम्हें एक के बाद एक स्वरूप देता चला जाता है। 
यही अल्लाह (जिसके यह काम हैं ) तुम्हारा रब है। बादशाही उसी की है कोई मांबूद (पूजनीय) उसके अतिरिक्त नहीं है‘‘। (अल-क़ुरआन सूर 39 आयत 6) प्रोफ़ेसर डॉ. कैथमूर के अनुसार पवित्र क़ुरआन में अंधेरे के जिन तीन परदों की चर्चा की गई है वह निम्नलिखित हैं : 
1- मां के गर्भाशय की अगली दीवार 
2- गर्भाशय की मूल दीवार 
3- भ्रूण का खोल या उसके ऊपर लिपटी झिल्ली भ्रूणीय अवस्थाएं ‘‘हम ने मानव को मिट्टी के, रस: ‘सत से बनाया फिर उसे एक सुरक्षित स्थल पर टपकी हुई बूंद में परिवर्तित किया, फिर उस बूंद को लोथडे का स्वरूप दिया, तत्पश्चात लोथड़े को बोटी बना दिया फिर बोटी की हडिडयां बनाई, फिर हड्ऱड़यों पर मांस चढ़ाया फिर उसे एक दूसरा ही रचना बना कर खडा किया बस बड़ा ही बरकत वाला है अल्लाह: सब कारीगरों से अच्छा कारीगर‘‘ ।(अल-क़ुरआन: सूर:23 आयात .12 से 14 ) 

इन पवित्र आयतों में अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि मानव को द्रव की बहुत ही सूक्ष्म मात्रा से बनाया गया अथवा सृजित किया गया है, जिसे विश्राम:Rest स्थल में रख दिया जाता है यह द्रव उस स्थल पर मज़बूती से चिपटा रहता है। यानि स्थापित अवस्था में, और इसी अवस्था के लिये पवित्र क़ुरआन में ‘क़रार ए मकीन‘ का गद्यांश अवतरित हुआ है। 
माता के गर्भाशय के पिछले हिस्से को रीढ की हडड़ी और कमर के पटठों की बदौलत काफ़ी सुरक्षा प्राप्त होती हैं उस भ्रूण को अनन्य सुरक्षा‘‘ प्रजनन थैली: से प्राप्त होती है जिसमें प्रजनन द्रवः Amnioic Fluid भरा होता है अत: सिद्ध हुआ कि माता के गर्भ में एक ऐसा स्थल है जिसे सम्पूर्ण सुरक्षा दी गई है। द्रव की चर्चित न्यूनतम मात्रा ‘अलक़ह‘ के रूप में होती है यानि एक ऐसी वस्तु के स्वरूप में जो ‘‘चिमट जाने‘‘ में सक्षम है। इसका तात्पर्य जोंक जैसी कोई वस्तु भी है। 
यह दोनों व्याख्याएं विज्ञान के आधार पर स्वीकृति के योग्य हैं क्योंकि बिल्कुल प्रारम्भिक अवस्था में भ्रूण वास्तव में माता के गर्भाशय की भीतरी दीवार से चिमट जाता है जब कि उसका बाहरी स्वरूप भी किसी जोंक के समान होता है। इसकी कार्यप्रणाली जोंक की तरह ही होती है क्योंकि, यह ‘आवल नाल‘‘ के मार्ग से अपनी मां के शरीर से रक्त प्राप्त करता और उससे अपना आहार लेता है। 
‘अलक़ह‘ का तीसरा अर्थ रक्त का थक्का है। इस अलक़ह वाले अवस्था से जो गर्भ ठहरने के तीसरे और चौथे सप्ताह पर आधारित होता है बंद धमनियों में रक्त जमने लगता है। अतः भ्रूण का स्वरूप केवल जोंक जैसा ही नहीं रहता बल्कि वह रक्त के थक्के जैसा भी दिखाई देने लगता है। 
अब हम पवित्र क़ुरआन द्वारा प्रदत्त ज्ञान और सदियों के संधंर्ष के बाद विज्ञान द्वारा प्राप्त आधुनिक जानकारियों की तुलना करेंगे। 1677 ई0 हेम और ल्यूनहॉक ऐसे दो प्रथम वैज्ञानिक थे जिन्होंने खुर्दबीन: Microscope से वीर्य शुक्राणुओं का अध्ययन किया था। 
उनका विचार था कि शुक्राणुओं की प्रत्येक कोशिका में एक छोटा सा मानव मौजूद होता है जो गर्भाशय में विकसित होता है और एक नवजात शिशु के रूप में पैदा होता है। इस दृष्टिकोण को ,छिद्रण सिद्धान्त:Perfo ration Theory भी कहा जाता है। 
कुछ दिनों के बाद जब वैज्ञानिकों ने यह खोज निकाला कि महिलाओं के अण्डाणु, शुक्राणु कोशिकाओं से कहीं अधिक बडे होते हैं तो प्रसिद्ध विशेषज्ञ डी ग्राफ़ सहित कई वैज्ञानिकों ने यह समझना शुरू कर दिया कि अण्डे के अंदर ही मानवीय अस्तित्व सूक्ष्म अवस्था में पाया जाता है। इसके कुछ और बाद, 18 वीं सदी ईसवी में मोपेशस:उंनचमपजप नेण् नामक वैज्ञानिक ने उपरोक्त दोनों विचारों के प्रतिकूल इस दृष्टिकोण का प्रचार शुरू किया कि, कोई बच्चा अपनी माता और पिता दोनों की ‘संयुक्त विरासत:Joint inheritance का प्रतिनिधि होता है । 
अलक़ह परिवर्तित होता है और ‘‘मज़ग़ता‘‘ के स्वरूप में आता है, जिसका अर्थ है कोई वस्तु जिसे चबाया गया हो यानि जिस पर दांतों के निशान हों और कोई ऐसी वस्तु हो जो चिपचिपी (लसदार) और सूक्ष्म हों, जैसे च्युंगम की तरह मुंह में रखा जा सकता हो। वैज्ञानिक आधार पर यह दोनों व्याख्याएं सटीक हैं। 
प्रोफ़ेसर कैथमूर ने प्लास्टो सेन: रबर और च्युंगम जैसे द्रव ,का एक टुकड़ा लेकर उसे प्रारम्भिक अवधि वाले भ्रूण का स्वरूप दिया और दांतों से चबाकर ‘मज़गा‘ में परिवर्तित कर दिया। फिर उन्होंने इस प्रायोगिक ‘मज़ग़ा‘ की संरचना की तुलना प्रारम्भिक भू्रण:Foetus के चित्रों से की इस पर मौजूद दांतों के निशान मानवीय ‘मज़ग़ा पर पड़े कायखण्ड: Somites के समान थे जो गर्भ में ‘मेरूदण्ड:Spina l Cord के प्रारिम्भक स्वरूप को दर्शाते हैं। 
अगले चरण में यह मज़ग़ा परिवर्तित होकर हड़डियों का रूप धारण कर लेता है। उन हड्डियों के गिर्द नरम और बारीक मांस या पटठों का ग़िलाफ़ (खोल) होता है फ़िर अल्लाह तआला उसे एक बिल्कुल ही अलग जीव का रूप दे देता है। ' ये जानकारी ना योग और ना वैदिक वैज्ञानिक किताबो मे ना युनानी वैज्ञानिक किताबो मे है । ' आधुनिक विज्ञान को भी इस जानकारी का इल्म पवित्र कुरआन कि आयतो से पहले नहीँ था । एक बार फिर साबित हो गया आधुनिक विज्ञान इस्लाम से बहुत पिछे है !

पृथ्वी का Main पॉइंट "काबा"..@

पृथवी का गोलडन मेंनं पोइंट हैं काबा , काबा का चमत्कार क्या हैं ? यह पृथवी के बिलकुल सेंटर मैं हैं आप यकीन नही करेंगे पर यह डिस्कवरी अमेरिकन प्रोग्राम मैं 2009 में हुई हैं और पूरी तरह हैरान कर देने वाली खोज हैं काबा जिसका हम मुसलिम तवाफ करते हैं जो इस्लाम का एक चमत्कारी इबादत गाह हैं । अल्हम्दुलिल्लाह अल्लाह ने पर्फेक्ट Mathematic ratio रखा हैं हर चीज़ मैं । Exmple - Heart Pulses , Spiral, Special design of the universe, Dodecehadron, Leaf array Rules of plants called phylotax, Snow flake Crystals , Spiral structure of Numberous Galaxies. और यही खालिक ने पवित्र काबा मै रखा हैं Earth गोलडन रेशियो जो नंबर हैं 1.618 जो रेशियो अल्लाह की बहूत बड़ी निशानियों मैं से एक हैं अल्हम्दुलिलाह सुभान अल्लाह अल्हम्दुलिल्लाह मक्का हैं दुनिया का गोलडन रेशियो- दुनियाँ का गोलडन रेशियो मक्का हैं मक्का पूरी दुनियाँ का सेंटर हैं मक्का ना सिर्फ नाप के हिसाब से पूरी दुनियाँ का गोलडन रेशियो हैं बल्कि अल्लाह पाक के पवित्र कुरआन मैं गोलडन रेशियो हैं गोलडन रेशियो 1.6 हैं सुभान अल्लाह । देखिये कैसे कुरआन पाक इस आयात मैं मक्का के लिये Word By Word बिलकुल सटीक गोलडन रेशियो बनाता हैं अगर यहाँ इस आयत मैं एक वर्ड भी कम या जयदा होता तो यह रेशियो आना मुन्किन ही नही था । आप यह वीडियो देखिये उर्दू या इंग्लीश मैं जिस भाषा मैं देखना चाहे । Miracle of Kaaba (Urdu) VID - https://m.youtube.com/watch?v=Pm4RCZAdKxg&itct=CB0QpDAYAiITCMHUmciHuMUCFVSwvgodUXwAczIHcmVsYXRlZEiDq_z91aTtwHI%3D&gl=IN&hl=en&client=mv-google VID ENG - Miracle of Kaaba - Watch the video & Be Proud to be a Muslim https://m.youtube.com/watch?v=k7n6gyzmYDw&itct=CCAQpDAYASITCOGDz5OJuMUCFUa3vgodpCUAUjIHcmVsYXRlZEiDq_z91aTtwHI%3D&client=mv-google&gl=IN&hl=en English===>> THE WORLD’S GOLDEN RATIO POINT- Holly Mysteries On display in September, 2009 PLEASE FILL THE PRE- REGISTRATION FOR ORDERING BOOK (OUR ENGLISH BOOK PREPARED TO THE PRINT. 25 USD + SHIPMENT) Miracle of Kaaba - Are you ready for revival ? 1.618 : Number of Golden Ratio, Mystery of Kaaba, Miracle of Islam and Qoran, it is the high time for Divine Secrets, Divine Mysteries. Soon on display! In a little while, you will see scientific proofs of unbelievable mysteries that have remained hidden in the Holy City of Mecca for thousand of years with your own eyes. Mecca is willed as direction of kowtow, convention place for billions of Muslims and as the holy center of Islam. Those Muslims, who can afford, are prescribed to arrive go on a journey through Kaaba, Muzdelife and Arafat and to convene in the sacred city. Phi Constant- 1.618, superior design number of mathematics. The Creator has always used the very same number in numerous events in the universe; in our Heart Pulses, the aspect ratio of DNA Spiral, in the Special design of the Universe called dodecehadron, in the Leaf array Rules of plants called phylotaxy, in the Snow flake Crystals, in the Spiral Structure of Numerous Galaxies. The Creator used the same number; the number of Golden ratio which is 1.618…

Monday 27 July 2015

हा इस्लाम ही सनातन धर्म हे ... .. ?

हाँ_इस्लाम_ही_सनातन_धर्म_है एक आम पर भ्रमित जन धारणा है कि इस्लाम धर्म की उत्पत्ति केवल डेढ़ दशक पूर्व अरब के नगर मक्का में पैगम्बर हजरत मुहम्मद (स. अ. व.) के द्वारा हुई तथा पैगम्बर हज़रत मुहम्मद (स. अ. व.) को ही इस्लाम धर्म के जनक के रूप में जाना जाता है। पर सच्चाई इस के बिलकुल विपरीत है। दर असल इस ब्रह्माण्ड में मानव की उत्पत्ति उसके सृष्टा अर्थात ईश्वर के द्वारा उसकी परीक्षा लेने के लिए की गई है, इसी लिए उसे सर्वोत्तम प्राणी (अशरफुल मुख्लुकात) बना कर इस धरती पर भेज गया है (कुरान १ ७: ७०)। इस्लाम धर्म की आस्था के अनुरूप सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और उसमे होने वाली प्रक्रियाएं तथा गतिविधियाँ मनुष्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए ही संचालित की जाती हैं। इस्लामी परम्परा के अनुसार "सम्पूर्ण ब्रह्मांड मानव की सेवा के लिए है और मनुष्य मरणोत्तर जीवन में अपने सद कर्मों एंव कुकर्मों का फल पाने के लिए है," (बहिकी, किताबुल ईमान)। अतः इस्लामी आस्था के अनुरूप सद्कर्म वे कर्म हैं जो सृष्टा ने उस सृष्ट जिसे अपने कर्मों के लिए उत्तरदायी ठहराया (अर्थात मानव) को पालन करने के आदेश दिए हैं और बुरे कर्म वे हैं जिन्हें करने से रोका गया है। अतः मनुष्य अपनी सृष्टि के प्रथम चरण या प्रथम क्षण से ही ईश्वर के द्वारा निर्धारित किए गए कर्मों से बंधा हुआ है। अतः इस्लामी आस्था के अनुसार इस्लाम धर्म का जन्म मानवता के जन्म के साथ ही हुआ है, ईश्वर ने मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही अपना मार्गदर्शन उसे इस्लाम धर्म के रूप में प्रदान किया। और जब तक इस धरती पर मानवता का अस्तित्व रहेगा इस्लाम धर्म भी उसके मार्गदर्शन के लिए स्थापित रहेगा। अतः कुरान में इस्लाम धर्म को दीन -ए कय्यिम (अर्थात सदा रहने वाला धर्म या सनातन धर्म) कहा है। कुरान, बाइबिल तथा तोरैत इस तथ्य पर सहमत है कि इस धरती पर मानव उत्पत्ति मानवता के पितामाह आदम और उनकी पत्नी हव्वा के रूप में हुई थी। कुरान ने इसका वर्णन करते हुए कहा है कि, "और जब तेरे रब ने कहा फरिश्तों से कि धरती पर मुझे उत्पत्ति करनी है अपने प्रतिनिधि (अर्थात मानव) की तो फरिश्तों ने कहा कि क्या आप उस (धरती) पर उसकी उत्पत्ति करेंगे जो वहां फसाद फैलाएगा और रक्त बहाएगा (अर्थात आपके आदेशों की अवहेलना करेगा)? फरिश्तों ने कहा कि हम तो हैं आप के गुणगान करने और आपकी ईबादत करने के लिए, ईश्वर ने कहा तुम्हे उसका ज्ञान नहीं जिसका ज्ञान मुझे है," (कुरान, २: ३०)। कुरान की इस आयत से स्पष्ट है की धरती पर ईश्वर ने मानव की उत्पत्ति उसके परीक्षा लेने के लिए की, अतः उसे उसकी उत्पत्ति के साथ ही अपने धर्म के मार्गदर्शन से एक क्षण के लिए भी वंचित नहीं रखा। कुरान में कई बार स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आदम के स्वर्ग से धरती पर उतारे जाने के पश्चात् उन्हें आदेश दिया गया था कि वह ईश्वर के धर्म का पालन करते रहें, और यही आदेश उनकी संतान अर्थात सम्पूर्ण मानवजाति को दिया गया। कुरान में है, "हम ने आदेश दिया (आदम को) वहां (अर्थात स्वर्ग) से उतरने का, और कहा जब कभी भी तुम पर हमारी ओर से निर्देश दिया जाएगा (अर्थात धर्म के रूप में) तो जो कोई भी उसका अनुसरण करेगा तो न उसे कोई भय होगा और न कोई पश्चाताप," (कुरान, २: ३८)। अतः ईश्वर ने कभी भी मानवजाति को अपने मार्गदर्शन से वंचित नहीं रखा तथा उसे सदा इस्लाम धर्म के रूप में अपने बताए सद्मार्ग पर चलने की राह दिखलाता रहा। कुरान में है, "और इसी की वसीयत अब्राहम ने अपने पुत्रों से की, और याकूब ने भी (अपनी संतानों से की) कि "हे मेरे पुत्रों! ईश्वर ने तुम्हारे लिए यही धर्म चुना है, तो इस्लाम के अतिरिक्त किसी और दशा में तुम्हारी मृत्यु न हो", (कुरान २: 1३२)। सब से पहला मानव ही जिसकी उत्पत्ति ईश्वर ने की उसे ही अपना दूत बना कर इस धरती पर भेजा और उसे आदेश दिया कि सम्पूर्ण मानवजाति को वह सदा अपने धर्म के रूप में निर्देशित करता रहेगा। अतः कुरान में है कि ईश्वर ने हर मानव समूह, समुदाय तथा विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले लोगों के लिए उन्ही में से अपने ईशदूत भेजे जिससे वे ईश्वर के बताए सद्मार्ग पर चलते रहें, "हम ने जो भी दूत (पैगम्बर) भेजा उसे उसके समुदाय की भाषा के साथ ही भेजा ताकि वह उनके सम्मुख स्पष्ट वर्णन कर दे," (कुरान, १४: ४)। "सम्पूर्ण मानवता एक ही समुदाय था, (उन्होंने विभेद किया तो) ईश्वर ने इश्दूतों (पैगम्बरों) को भेजा, जो (ईश्वर के धर्म का पालन करने पर मिलने वाले पारितोषिक की) शुभ सुचना देने वाले और (अधर्म पर चलने के कारण दण्डित होने से) डराने वाले थे, और उनके साथ सत्य पर आधारित ग्रन्थ अवतरित किया," (कुरान, २: २१३)। इश्दूतों की यह श्रंखला सबसे पहले ईशदूत हजरत आदम से चल कर अंतिम ईशदूत हज़रत मुहम्मद (स. अ. व.) पर समाप्त होती है. इश्दूतों की इस श्रंखला में एक लाख चोबीस हज़ार ईशदूत ईश्वर का पैगाम लेकर सम्पूर्ण मानवता के पास आए। धरती पर बसने वाला कोई समुदाय या धरती का कोई भाग ईश्वर की वाणी और उसके मार्गदर्शन से कभी भी वंचित नहीं रहा, ईश्वर ने मनुष्य से किया वचन, कि वह सदेव मनुष्य को अपना सद्मार्ग दिखाता रहेगा, पूरा किया। यह मनुष्य ही था जो समय के साथ इश्दूतों के द्वारा लाए गए निर्देशों का या तो खंडन करता रहा, या फिर उन ईश्दूतों की मृत्यु के पश्चात उनके द्वारा लाए गए ईश्वरीय निर्देशों को विकृत करता रहा, जिसके बाद फिर ईश्वरीय सद्मार्ग (अर्थात इस्लाम) के पुनरुत्थान के लिए ईश्वर अपने दूतों को भेजता रहा। इस्लाम धर्म की उत्पत्ति मानव जाति के पितामाह आदम के साथ हुई, और विभिन्न काल चक्रों से गुज़रता हुआ यह धर्म अंततः १.५ सदी पहले अंतिम उपदेशक और ईशदूत के आगमन के साथ ही सम्पूर्ण हो गया। अर्थात ईश्दूतों (पैगम्बरों) की वह श्रंखला जो मनव जाति के विभिन्न समूहों, क्षेत्रो तथा देशों में प्रकट हुए एक लाख चौबीस हज़ार इश्दूतों से होती हुई मक्का में हज़रत मुहम्मद तक पहुँचती है उसका वहां समापन हो जाता है, इस्लाम यहाँ अपना सर्वोत्तम रूप प्राप्त कर लेता है। इस्लाम धर्म के अंतिम प्रारूप को जिसे हज़रत मुहम्मद (स. अ. व.) के आगमन के साथ सम्पूर्ण कर दिया गया उसके सम्बन्ध में ईश्वर ने कहा, "आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया तथा तुम पर अपनी कृपा पूर्ण कर दी, और मैंने तुम्हारे लिए धर्म के रूप में इस्लाम को स्वीकार किया" (कुरान, ५: ३)। हजरत मुहम्मद के आगमन के साथ ही इश्दूतों का आगमन समाप्त हो गया तो इस्लाम के इस विशुद्ध रूप की रक्षा करने का दायित्व अब स्वयं ईश्वर ने ले लिया, "यह अनुस्मरण हम ने ही अवतरित किया और हम स्वयं इसके रक्षक हैं। (कुरान, १५: ९)। अतः इश्वर द्वारा रचित और चुनित धर्म तो केवल इस्लाम ही रहा है, जिस की उपस्थिति और जिसके द्वारा बताई गई उपासना पध्दिती से मानवजाति कभी भी अनभिज्ञ नहीं रही है। कुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है, "धर्म तो ईश्वर की दृष्टि में इस्लाम ही है, जिन्हें पुस्तक (आर्थत कुरान से पूर्व के अवतरित ग्रन्थ) दी गई थी उन्होंने तो इसमें इसके पश्चात विभेद किया कि ज्ञान उनके पास आ चूका था एेसा उन्होंने परस्पर दुराग्रह के कारण किया, जो ईश्वर की आयातों को नकारेगा तो ईश्वर शीघ्र ही पूछताछ करने वाला है," (कुरान ३: १९)। हज़रत मुहम्मद से पूर्व आए सभी ईशदूत या तो सामयिक थे, या उनका उपदेश उनके क्षेत्रो तथा स्थानीय लोगों के मार्गदर्शन के लिए ही सीमित थे। हजरत मुहम्मद (स. अ. व.) से पहले एक समय में कई ईशदूत विभिन्न क्षेत्रो और समुदायों के बीच एक साथ प्रकट होते थे, अर्थात उनका उपदेश और उन पर अवतरित इस्लाम धर्म का प्रारूप सामयिक और उनके अपने समुदायों की आदतों व व्यवहारों के अनुरूप होता था, अतः हजरत मुहम्मद (स. अ. व.) से पूर्व इस्लाम धर्म का प्रारूप कभी भी सम्पूर्ण मानवजाति को एक साथ एक लड़ी में पिरोने वाला नहीं था। हज़रत मुहम्मद से पूर्व आए सभी ईशदूत दर असल मानवजाति को हज़रत मुहम्मद (स. अ. व.) द्वारा लाए जाने वाले इस्लाम के अंतिम संस्करण के लिए तैयार करने के लिए ईश्वर द्वारा भेजे गए थे अतः इस्लाम के वर्तमान शुद्ध रूप की भांति उससे पूर्व के संस्करणों को सुरक्षित रखने का दायित्व ईश्वर ने नहीं लिया था क्योंकि उनमे परिवर्तन जारी था और उस समय तक उसमे परिवर्तन हो रहा था जब तक की अंतिम ईशदूत ईश्वर का अंतिम और सबसे विशुद्ध पैगाम अर्थात कुरान जो सम्पूर्ण मानवजाति के लिए एक है उसे ले कर प्रकट नहीं हो गए। For More Details:- हां! इस्लाम ही सनातन धर्म है:सेव इंडिया कैंपेन :आतिफ सुहैल सिद्दीक़ी का ब्लॉग-नवभारत टाइम्स - readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/saveindiacampaign/entry/ह-इस-ल-म-ह-श-श-वत-और-सन-तन-धर-म-ह

अहसान फरामोशी - दीन ए इस्लाम का हिस्सा नही .@

एक दिन हज़रत मूसा अलैहिस्लाम कोहे तूर पर तशरीफ ले जा रहे थे। रास्ते में उनकी मुलाकात एक इंसान से हुई जो अल्लाह की इबादत मैं लगा हुआ था ओर इतना कमज़ोर हो गया था की चल भी नहीं सकता था। हज़रत मूसा अलैहिस्लाम ने पूछा कि ऐ इंसान तुझ को खाना पानी कौन देता है? 
उस इन्सान ने जवाब दिया, वही अल्लाह जिसकी मैं इबादत दिन रात किया करता हूँ। वोह एक परिंदा भेजता है, जो मुझे खाना ओर पानी अपनी चोंच से देता है। फिर उस इंसान ने पुछा आप कहां जा रहे हैं,? हज़रत मूसा ने जवाब दिया कि मैं कोहे तूर पर जा रहा हूं। उस आदमी ने कहा कि क्या तुम मेरा एक सवाल अल्लाह तक पहुंचा सकते हो? 
हज़रत मूसा ने कहा कि तुम्हारा सवाल क्या है? आदमी ने कहा कि अल्लाह से पूछो मैं इतनी इबादत करता हूँ, मेरी जगह जन्नत मैं कहां है?। 
हज़रत मूसा कोहे तूर पर गए। अल्लाह रब्बुल इज्जत की हम्द व सना के बाद हज़रत मूसा ने उस आदमी की बात का सवाल किया। 
अल्लाह रब्बुल इज्जत ने फरमाया:- ऐ मूसा उस आदमी से कह दो उसकी जगह जहन्नम है ओर इसकी वजह यह की जब एक परिंदा उसको हर रोज़ खाना खिलाता है, तो यह आदमी उस परिंदे से कभी नहीं पूछता की उसने भी खाना खाया या नहीं? यह एहसान फरामोशी है, ओर एहसान फरामोश कितनी भी इबादत कर ले जन्नत की खुशबू भी नहीं पाएगा। उस आदमी ने जब हजरत मूसा को वापस आते देखा तो उनसे पूछा कि क्या तुमने मेरे सवाल को अल्लाह तक पहुंचा दिया था? 
अल्लाह ने जो फरमाया उसे हज़रत मूसा ने बता दिया। यह सुनकर उस आदमी का रंग उड़ गया। उस आदमी ने दुआ की ऐ मूसा अल्लाह से कह दो की , मुझको इतना बड़ा कर दे की पूरा जहन्नम भर जाए ओर इसके बाद कोई भी इबादत करने वाला जहन्नम ना जाए. हज़रत मूसा ने यह बात भी अल्लाह तक पहुंचा दी! अल्लाह रब्बुल इज्जत ने फरमाया जाओ उस आदमी से कहो, इसलिए की तुमने दूसरों की तकलीफ को महसूस किया ओर उनके लिए तुम्हें जन्नत दी । 
हम पे एहसान है अल्लाह का जिसने हमें इस्लाम की शक्ल मैं हिदायत दी। हम पे एहसान है मुहम्मद(स.अ.व) का जिन्होंने हुक्मे खुदा से हम सबके पास अल्लाह का पैग़ाम पहुँचाया और उसपे अमल कर के दिखाया। हम पे एहसान हैं मुहम्मद (स.अ.व) के घराने का जिन लोगों ने इस्लाम के लिए कुर्बानियाँ दी ,इस्लाम को बचाया और उसके कानून पे अमल करके बताया और नतीजे मैं शहादत पाई । 

सूर ए शूरा आयत २३ ऐ रसूल "आप कह दिजीये कि मैं तुम से इस तबलीग़ का कोई अज्र नही चाहता सिवाए इसके कि मेरे क़राबत दारों से मुहब्बत करो" हम पे एहसान है हमारे मां बाप का जिन्होंने हमारी परवरिश की- इसी लिए मां बाप के लिए यह दुआ करना हर औलाद का फ़र्ज़ है " ऐ अल्लाह हमारे मां बाप पे ऐसे रहम करना जैसा उन्होंने हमारे बचपन मे हमपर किया था जब हम मजबूर और कमज़ोर थे। 
हम पे एहसान है हमारे असातिजाह (शिक्षकों) का जिन्होंने हमको पढना लिखना सीखाया। हम पे एहसान हैं हमारे रिश्तेदारों का, जिनकी मुहब्बत हमको जिन्दा रहने का एहसास दिलाती है। 
हम पे एहसान है उन दोस्तों का, पड़ोसियों का, जिन्होंने हमारी बुरे वक़्त मैं मदद की । 

इन सभी एहसानों को मानते हुए इन सभी के शुक्र गुज़ार होते हुए इनके हुकूक को ईमानदारी से अदा करना चाहिए,यही इस्लाम का पैग़ाम है । अगर ऐसा ना किया तो जन्नत तो क्या उसकी खुशबू भी नहीं पाओगे ।

कुरान और धार्मिक स्वतंत्रता .. @

# कुरआन_और_धार्मिक_स्वतंत्रता इसमें कोर्इ शक (सन्देह) नही कि कुरआन चाहता हैं एक ईश्वर (अल्लाह) के सिवा किसी अन्य की इबादत न किया जाए। उसे ही खालिक, पालनहार, परवरदिगार, कुदरतवाला, आलिमुलगैयब, रिज्क देने वाला, जरूरतें पूरी करने वाला, सुख ओर दुख देने वाला, मौत और जिन्दगी का मालिक और सारे जहाँ का बादशाह, कयामत (प्रलय) के दिन इन्सानों का हिसाब- किताब लेने वाला स्वीकार किया जाए। उसे निराकार माना जाए और उसका बुत न बनाया जाए। लेकिन कुरआन अपनी इस सही और उचित बात को भी बलपूर्वक और जोर-जबरदस्ती से नही मनवाता बल्कि इसके लिए वह सबूत देता है! अच्छा हुक्म और सोच-विचार करने का। कुरआन की यह तालीम और हुक्म बिल्कुल नही हैं कि जो इन बातों को कबूल न करे उससे युद्ध किया जाए और उसे मौत के घाट उतार दिया जाए। यह एक बिलकुल ही झूठा आरोप हैं जो कुरआन और इस्लाम पर लगाया जाता है। कुरआन मे तो जगह-जगह यह बात कही गर्इ हैं कि इस दुनिया मे इन्सान को सोच-विचार एवं काम की आजादी देकर इम्तिहान के लिए भेजा गया हैं और बलपूर्वक किसी विशेष बात को अपनाने पर मजबूर नही किया गया हैं। इस दुनिया (कर्म-क्षेत्र) में वह जो भी नीति अपनाएगा मौत के बाद आने वाले आखिरत के जीवन में उसके अनुसार वह इनाम या सजा पाएगा। ताकत या तलवार के साथ किसी को अपनी बात अपनाने पर मजबूर करने की तालीम और हुक्म अगर कुरआन देता तो फिर इस हालत मे इम्तिहान का वह मकसद ही खत्म हो जाता जिसका जिक्र कुरआन मे बार-बार किया गया हैं। •कुरआन में अल्लाह तआला फरमाते हैं:- ‘‘फिर (ऐ पैगम्बर) हमने तुम्हारी ओर यह ग्रन्थ अवतरित किया जो सत्य लेकर आया हैं और ‘मूल ग्रन्थ’ मे से जो कुछ उसके आगे मौजूद हैं उसकी पुष्टि करने वाला और उसका रक्षक और निगहबान हैं। अत: तुम अल्लाह के भेजे हुए कानून के अनुसार लोगो के मामलों का फैसला करो और जो सत्य तुम्हारे पास आया हैं उससे विमुख होकर उनकी इच्छाओं का अनुसरण न करो। हमने तुम इन्सानों मे से हर एक के लिए एक ग्रन्थ पन्थ और एक कार्य-पद्धति निश्चित की। अगर अल्लाह चाहता तो तुम सबको एक समुदाय भी बना सकता था, (लेकिन उसने ऐसा नही किया) ताकि उसने जो कुछ तुम लोगों को दिया हैं उसमें तुम्हारी परीक्षा ले। अत: भलाइयों मे एक-दूसरे से आगे बढ़ जाने की कोशिश करो। अन्तत: तुम सबकों अल्लाह की ओर पलटना है, फिर वह तुम्हें असल वास्तविकता बता देगा जिसमें तुम विभेद करते रहे हो।’’ (कुरआन: 5/48) •कुरआन मे एक जगह अल्लाह ने अपने रसूल (सल्ल0) को फरमाया:- ‘‘(ऐ पैगम्बर!) ऐसा लगता हैं कि अगर इन लोगो ने इस शिक्षा को ग्रहण नही किया (ईमान न लाए) तो तुम इनके पीछे दुख के मारे अपने प्राण ही दे दोगे। सत्य यह हैं कि जो कुछ सुख- सामग्री भी जमीन पर हैं, उसको हमने जमीन का सौन्दर्य बनाया हैं ताकि लोगो की परीक्षा ले कि उनमें कौन उत्तम कर्म करने वाला हैं।’’ (कुरआन: 26/3) •कुरआन मे दूसरी जगह पर कहा गया:- ‘‘बड़ा बरकत वाला (विभूतिपूर्ण) है वह जिसके हाथ में साम्राज्य है और वह हर चीज़ पर सक्षम है।जिसने मृत्यु और जीवन को पैदा किया ताकि वह तुमको जाँचे कि तुममे से कौन अच्छे कर्म करता है। और वह शक्तिशाली है, क्षमा करने वाला है।’’ (कुरआन 67: 1-2) इसी तरह की बहुत-सी आयतें कुरआन मे मौजूद हैं, जिनसें इस बात का पता चलता है कि इन्सान को इस दुनिया मे अकल और आमाल (कर्म) की आजादी देकर उसका इम्तिहान लिया जा रहा हैं। इन तालिमात के होते हुए यह मतलब कैसे निकाला जा सकता हैं कि किसी को तलवार या ताकत के जोर से एक ही बात कबूल करने पर मजबूर करने का हुक्म कुरआन देता हैं। जिन लोगों से जंग करने की बात कुरआन मे कही गर्इ हैं वह उनके गैर-मुस्लिम होने की वजह से नही, बल्कि इस वजह से कही गर्इ। कि वे इस्लाम और उसके मानने वालो (अनुयायियों) पर घोर जुल्म (अत्याचार) करते थें उन्हें खत्म करने के लिए साजिशे करते थे, मुसलमानो पर खुद बढ़-चढ़ कर हमले करते थे, और मुसलमानों को इस्लाम पर अमल करने से रोकते थे! •मजहब (धर्म) कबूल करने के ताल्लुक से कुरआन इस बात का ऐलान करता हैं:- ‘‘दीन (धर्म) के सम्बन्ध मे कोर्इ जबरदस्ती नही।’’(कुरआन, 2 : 256) •कुरआन मे एक ओर जगह है: "(ऐ पैगम्बर) अपने परवरदिगार की ओर से (लोगो के सामने) सत्य पेश कर दो। अब जो चाहे उसे माने और जो चाहे इन्कार करे।’’ (कुरआन, 18:29) •कुरआन मे एक ओर जगह कहा गया:- "और शिर्क (बहुदेववादी) करने वालों पर ध्यान न दो। और यदि अल्लाह चाहता तो ये लोग उसका साझी न ठहराते। और हमने तुमको उनके ऊपर संरक्षक नहीं बनाया है और न तुम उन पर अधिकारी हो’’ (कुरआन, 6:106-107) •कुरआन मे एक ओर जगह कहा गया:- ‘‘तुम उनके उपास्यों को, जिन्हें वे अल्लाह को छोड़कर पुकारते हैं, गालियों न दो ( न उनके लिए अपशब्द कहो)।’’ (कुरआन 6:108) कुरआन उपदेश दीजिए और समझाइए-बुझाइए क्योकि आपके जिम्में केवल नसीहत देना हैं। आप उनपर दारोगा या हवलदार नही हैं (कि जोर- जबरदस्ती से अपनी बात मनवा लें)।’’ (कुरआन 88:21-22) •कुरआन में एक ओर जगह पर हैं:- ‘‘हमने उसको (मनुष्य को) सत्यमार्ग दिखा दिया हैं। अब चाहे वह (उसपर चलकर) कृतज्ञ बने, चाहे (उसे छोड़कर) अकृतज्ञ।’’ (कुरआन 76:3) •कुरआन में हैं:- ‘‘कहो कि ऐ अवज्ञाकारियो,मैं उनकी उपासना नहीं करुँगा जिनकी उपासना तुम करते हो।और न तुम उसकी उपासना करने वाले हो जिसकी उपासना मैं करता हूँ।और मैं उनकी उपासना करने वाला नहीं जिनकी उपासना तुमने की है। और न तुम उसकी उपासना करने वाले हो जिसकी उपासना मैं करता हूँ।तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन (धर्म), और मेरे लिए मेरा दीन (धर्म)।’’ (कुरआन, 109 : 1-6) कुरआन की यह सूरा उस समय की हैं जब अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्ल0) लोगों को एक अल्लाह की ईबादत और बन्दगी की और बुला-बुलाकर थक गए थे और कुछ लोगो ने मानकर नही दिया और अब उनसे कोर्इ उम्मीद भी बाकी नही रही कि वे एक अल्लाह की ईबादत के लिए तैयार होंगे। इन हालात में नबी करीम सल्ल0 की जुबान से एलान कराया गया और इन्कार करने वालो से कह दिया गया कि अगर तुम अपनी नीति पर अडिग रहना चाहते हो तो ये कुरआनी तालीमात इन्सान की धार्मिक स्वतंत्रता का खुला एलान हैं। जो धर्म और जो किताब यह एलान खुद करती हो उसके बारे मे यह दुष्प्रचार करना कि उसकी यह शिक्षा हैं कि ‘‘ जो उस पर र्इमान न लाए उसे कत्ल कर दिया जाए,’’ कितना बड़ा अत्याचार व अन्याय हैं। कुरआन और इस्लाम के बारे में इस तरह का गलत और उल्टा प्रचार करने वाली संस्थाओं और उनके हमख्याल लोगो के मन मे कभी यह ख्याल नही आता कि जब इस्लाम और कुरआन की सही तालीम और सही तस्वीर लोगो के सामने आएगी तो लोगो की उनके बारे में क्या राय बनेगी। सारी दुनिया तो उनके समान विचार वाली हैं नही कि लोग आंखे बन्द करके उनकी बातों को सच मान लेगे। यह युग ज्ञान- विज्ञान और शोध और खोजों का युग हैं और दुनिया में बहरहाल ऐसे लोगो की बड़ी तायदाद मौजूद हैं जो जानकारी और शोध के बाद ही किसी के बारे मे कोर्इ राय बनाते हैं। ऐसे बहुत-से लोगो से हमारी मुलाकाते हुर्इ हैं और होती रहती हैं, जिन्होने इस तरह के दुष्प्रचार से मुतास्सिर होकर इस्लाम और कुरआन का उसके सही हक से अध्ययन किया और इस्लाम की तर्कसंगत, संतुलित और सच पर आधारित समाजसुधार तालिमात से मुतास्सिर हुए बिना न रह सके।

Saturday 25 July 2015

कुरान में अनगिनत गणितीय चमत्कार पार्ट - 01

Mathematics Miracles Of Holy Qur'an Verses ,
Chapter's and Revelation years Part - 1

Alhamdulillah All thanx to Allah .

Mathematics Miracle begin Number 19 and 7 & Miracle Ending 7 and 19 Begin Ending 19 ~ ~ ~ 7 7 ~ ~ ~ 19 Alhamdulillah .
The Holy Qur'an Begin with 'Bismillah' "In the Name of God, Most Gracious, Most Merciful
" *The Greatness Numerical Miracles of " Bismillah"
*The 19 arabic letters 19 => 19x1 *Frist chapter 7 verse 7/7 = 7x1 we write Chapter Verses 1 1234567/19 =>19x 591293 *
" Bísmìllâh hír rãhmãñ ñír rãhím' 4 words . Ist word consists of 3 letters . 2nd word consists of 4 letters. 3rd word consists of 6 letters.
4th word consists of 6 letters. 6643/7 => 7x949 *The first Aayat (verse) in the Holy Qur'an & The last Aayat (verse) in the Holy Qur'an . Last Aayt first Aayt W A W A 4 6 4 1 4641/7 => 7x663 *Last ayt 'words Ayt Sura' & First ayt 'words Ayt Sura ~ wrd Ayt S wrd Ayt S 4 6 114 4 1 1 46114411/7 => 7x 6587773 *Last Ayat 'letters , words Ayt Sura' & First Ayat 'letters words Ayt Sura' ~ L W Ayt S L W Ayt S 13 4 6 114 19 4 1 1 134611419411/7 => 7x 19230202773
*First Aayt 'letters words Ayt Sura ~ Ltr Words Ayat Sura 19 4 1 1 19411/7 => 7x 2773 Last Ayat ' letters words Ayt Sura ~ Ltr Words Ayat Sura 13 4 6 114 1346114/7 => 7x 192302 Alhamdulillah *
" In Every Number, there is a Miracle " The Numbers that Allah has chosen for his Holy Book The Qur'an' no human kind can ever produce like them .
Allah glorified be Him. Has chosen for his book . * The Number of Verse 6236 verses * The number of chapters 114 * The number of the years of Revelation 23 years. The number of the Qur'anic chapters 114 : its characteristic is that the number of the first chapter and that of the last one contitute the number of number 114 and it is a divide by 7 *The Last chapter's Number 114 First chapter's Number 1 1141/7 => 7x163 moreover the total of its numbers gives the sum of 7 : (1+1+4+1 = 7 => 7x1 ) *The 23 Revelation years and first chapter number ~ 231 / 7 => 7x 33 *Revelation years and last chapter number ~ 23114 / 7 => 7x 3302 *The verses and the chapters constitute the number of 1146236 which is about seven categories and can be divided by 7 in the two senses: the sum of its number too gives 23 (the Number of the years of Revelation . 1+1+4+6+2+3+6 =23 *The total of singles of three numbers:

2+3+1+1+4+6+2+3+6 = > 28 = 7x4 *The chapter 114 and the years 23 the constitute a number that is a divide by 7 in two ways 23114 23114/7 => 7x3302 and the total of the numbers of each is : 2+3 =5 1+1+4 = 6 then 56 is a divide by 7 56 => 7x8
*The verses and the years: the constitue a number that is divide 7 in two ways too : 236236 /7 =>7x 33748 6+2+3+6 = 17 2+3 = 5 175/7 => 7x 25 Continue Part 2 In shah Allah

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट -02

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses and Revelation time part - 2

'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, the Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah
Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ]
what is the relationship Number 7 with Holy Qur'an ?
All thanx to Allah
कुरआन ए पाक मे गणितीय चमत्कारी निशानी सुरते आयते और नाजिल होने का समय , पार्ट - 2 अल्लाह ने पवित्र कुरआन मे सुरा 15 आयत 87 मे नम्बर 7 को एक निशानी के रुप मे फरमाया है । देखीये हमने तुम्हेँ सात "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87]

कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है ।
*The Arrangement of the number of Qur'anic Ayats (verses) 6236, with the number of Qur'anic Chapter's 114 , forms the number: 114 6236 कुरआन ए पाक मे 6236 आयते और 114 सुरते है । कुरआन ए पाक की सुरते और आयते 114 6236
*The Arrangement of the number of Qur'anic verses 6236, with the number of years of its revelation 23 Lunar years , forms the number 23 6236
कुरआन ए पाक की आयते 6236 और कुरआन ए पाक के नाजिल होने का समय 23 Lunar Years नाजिल होने का वक्त और आयते एक साथ 23 6236
*The Arrangement of the number of Qur'anic chapters 114, with the number of years of its revelation 23, forms the number: 23 114 कुरआन ए पाक की सुरते 114 और नाजील होने का समय 23 Lunar years , नाजिल होने का समय और सुरते एक साथ 23 114 Total Sura Total Aayts सुरते और आयते 114 6236 1146236/7 => 163748x7 We will now take our chances with the number 1146236 and reverse it
अब हम 1146236 सख्याँ को उल्टा कर के देखते है । Give us 6326411 even though we switched the order of the original number, Amazingly , this new number is a divide by 7 yet again: सख्याँ को उल्टा करने पर जो सख्याँ आती है आशर्चय है वो भी 7 से पुरी भाग होती है । 6326411/7 => 903773x7 final note: An interesting point to make is that the sum of the digits making up the number 1146236 (which consists of the number of Qur'ans verses and chapters) is: 1+1+4+6+2+3+6 =23 [And 23 is the number of years of Qur'anic's Revelation]

पवित्र कुरआन की सुरतो और आयतो को एक एक करके जोडने पर जो सख्याँ आती है वो बिल्कुल नाजील होने वक्त 23 Lunar years है 1+1+4+6+2+3+6 =23 * years of Revelation and number of verses Rvltn years Total Ayts 23 6236 236236/7 => 33748x7
कुरआन ए पाक के नाजिल होने का समय और आयते । 23 6236 कुरआन ए पाक के नाजिल होने के समय कि सख्याँ 23 और आयते 6236 को एक साथ रखने पर जो सख्याँ आती है वो भी 7 से पुरी भाग होती है । The Number Reversed Amazingly divide 7 632632/7 => 89089x7
अब सख्याँ को उल्टा करने पर जो सख्याँ आती है वो भी दुबारा 7 से पुरी भाग हो जाती है 632632/7 => 89089x7 Revelation years joining the Total Sura ~ Rvltn years Total Sura 23 114 23114/7 => 3302x7 नाजिल होने के वक्त 23 Lunar years और सुरते 114 को एक साथ रखने पर जो सख्याँ आती है वो भी 7 से पुरी भाग है । 23114/7 => 3302x7 Reversing this number ~ 41132/7 => 5876x7
अब इस सख्याँ को उल्टा करके लिखने पर जो सख्याँ आती है वो भी 7 से पुरी भाग है । 41132/7 => 5876x7 Note: had the three number 6236, 114 and 23, been any differen, in other words, if the Holy Qur'an had one more or one less verse or chapter , or if it had taken one more or one less year to be sent down , this entire numerical pattern would be shattered , and therefore irrelevant .

ध्यान देने योग्य बात अगर पवित्र कुरआन मे एक भी सुरत , आयत कम या ज्यादा होती तो कभी सख्याये 7 से भाग नही हो पाती । *Connecting the Three Numbers ~ first Number: 23114 consists of 5 digits पहली 23114 सखयाँ 5 अक्षरो की सखयाँ है । Second Number: 236236 consists of 6 digits दुसरी 236236 सख्याँ 6 अक्षरो की सख्याँ है । Third Number: 1146236 consists of 7 digits तीसरी 1146236 सख्याँ 7 अक्षरो की सख्याँ है । The resulting number is 567 इनको एक साथ लिखने पर जो सख्याँ बनती है वो भी 7 से पुरी भाग है । 567/7 => 81x7 Now The Whole Holy Qur'an thing ~

पवित्र कुरआन की सुरते , आयते सब कुछ Total Sura = 114 सुरते = 114 Total Aayts = 6236 आयते = 6236 Sajdah = 14 सजदे = 14 Manzil = 7 मजिँल = 7 Ruku = 558 रुकु = 558 Parey = 30 पारे = 30 Amazingly, And Last and final ~ 1+1+4+6+2+3+6+1+4+7+5+5+8+3+0 = 56 7 से पुरा भाग 56/7 => 7x8 अल्लाह हु अकबर The number 114 , 6236 , 14 , 7, 558 , 30 if the Holy Qur'an had one more or one less verse or chapter , or ruku mazil , etc , this entire numerical pattern would be shattered , This Sura , Aayts, Ruku etc Miracles System Is prf whole the Sura's Aayt's Ruku manzil etc use in perfect wisdom the perfect wisdom of The Creator Khaliq One And Only Allah .
अगर पवित्र कुरआन मे एक भी सुरत आयत या मजिँल या कुछ भी ज्यादा या कम होता तो ये 7 से भाग होना सभवँ हि नहीँ था । एक बार फिर साबित हो गया कि पवित्र कुरआन मे हर चिज पुरे ईल्म से है और ये ईल्म सिर्फ खालिक का है अल्लाह ईशवर का ईल्म अल्हमदुल्लिलाह । Alhamdulillah Post Continue in 3rd part In shah Allah

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट -3

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses part - 3

कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 3
'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, the Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19
plz see my post 1, 2 गणितिय चमत्कार शरु होगा नम्बर 19 & 7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहली पोस्ट और आगे की पोसटे देखेँ ।
19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है -

Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ?

हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है
Total Sura =114 => 19x6 टोटल सुरा = 114 => 19x6 First surah is Al-Fatihah = 7 verses. The last surah is An- Naas= 6 verses. 76 / 19 = 4 कुरआन ए पाक के पहले सुरा मे आयते 7 और आखीरी सुरा मे आयते 6 है 76/19 => 19x4
The largest total Aayt Total = 286 verses. The shortest Aayt Total = 3 verses. पवित्र कुरआन मे सबसे ज्यादा आयते टोटल = 286 और सबसे कम आयते टोटल = 3 2 +8 + 6 + 3 = 19 => 19x1 Three latest surahs are started by "QUL".

कुरआन ए पाक मे 3 सुरते ऐसी है जो "कुल " से शरु हुई है । Those are surahs no. 112. 113 and 114 ये सुरते 112, 113 , 114 है । Surah 112 = 4 verses, Surah 113= 5 verses Surah 114 = 6 verses. सुरा 112 = आयते 4 सुरा 113 = आयते 5 सुरा 114 = आयते 6 456 / 19 =>19x 24 The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~
पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । The initial letters themselves form independent verses without any other words in 19 of those 29 suras (for example, “Alif, Lam, Meem” is a verse in itself in the sura “The Cow”). In the other 10 suras, there are some words after the initial letters (for example, the first verse of the sura “Qaf” states, “Qaf, the Glorious Quran”).
पवित्र कुरआन मे 29 सुरते ऐसे है जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है और इन 29 सुरतो मे से 19 सुरते ऐसी है जिनकि आयतो मे सिर्फ ये अक्षर उपयोग हुए है जैसे सुरा न॰2 बकरा की पहली आयत मे ' अलीफ लाम मिम ' ही आया है आयत मे आगे कुछ शबद नही आये और 10 सुरते ऐसी है जिनकि आयतो मे इन अक्षरो के बाद कुछ शबद भी आये है जैसे ' काफ. महान कुरआन ' मतलब 19 सुरते तो वो है जिनकी आयतो मे सिर्फ ये अक्षर आये है और 10 सुरते वो है जिनकी आयतो मे इन अक्षरो के बाद शबद भी आये है ।
The verses draw attention to the Quran (by using the words “Quran” or “Book”) in 9 out of 10 suras that have initial letters together with words.
धयान देने की बात 10 सुरतो मे से जिनकी आयतो मे अक्षरो के बाद शबद भी आये है 9 सुरते वो है जिनकी आयतो मे अक्षरो के बाद ' कुरआन या किताब ' ये शबद आये है ।
The total of the sura numbers of these 9 suras is the number “190” उन 9 सुरतो का टोटल जिनकी आयतो मे अक्षरो के बाद ' कुरआन या किताब' शबद आया है 190 है । (10+11+12+13+14+15+2­ 7+38+50= 190), and 190 is equal to 19x10. => 190 19x10 The suras introduced with the initial letter “Alif” are related to the 19. For instance, the total of the sura numbers of the suras starting with the initial letter “Alif” is an exact multiple of the number 19.
29 सुरतो मे जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है उनमे से 13 सुरते ऐसी है जिनकी पहली आयत मे " अलिफ " उपयोग हुआ है । और इन 13 सुरतो का टोटल भी 19 से भाग है । [2+3+7+10+11+12+13+14+15+29+3 0+31+32 = 209 => (19x11) ] Continue in part 4 In shah Allah पोस्ट जारी रहेगी पार्ट 4 मे इन्शा अल्लाह !
पोस्ट by-मोहम्मद बिलाल(विकाश वशिष्ठ)

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट -04

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses part- 4
कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 4
'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, The Most Beneficent, the Most Merciful. '
Alhamdulillah
Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19 plz see my post 1, 2, 3
गणितिय चमत्कार शरु होगा नम्बर 19 & 7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहले की पोस्टे देखेँ ।
19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है
Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ? देखीये - हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है
The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~
पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । Why Intialled letters Use 29 Sura ? Alhamdulillah All thanx to Allah This Is Miracles System In Holy Qu'ran . This Miracles system Only found in Holy Qu'ran . Miracles System in Every Suras Every Ayats Every words Every Letters if these Initialled use One more Sura Or One less Sura So this System Finish .
आखीर ये अक्षर 29 सुरतो मे ही क्यो उपयोग हुए ? अल्लाह ने पवित्र कुरआन के हर सुरतो हर आयतो हर शब्दो हर अक्षरो मे एक मिरकल सिस्टम चमत्कारी सिस्टम रखा है जो आपको पवित्र कुरआन के सिवा बाकि किसी भी किताब मे नहीँ मिलेगा ।
कुरआन ए पाक के 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर 29 मे से एक भी ज्यादा या कम सुरत मे ये अक्षर उपयोग होते तो वो सिस्टम बिगड जता जो पवित्र कुरआन मे है इतना ही नहीँ जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी अलग सुरत मे होते तो भी सिस्टम बिगड जाता इतना ही नहीँ जिन आयतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी आयत कम या ज्यादा या अलग होती तो भी सिस्टम बिगड जाता । इतना बारीकी से इतना बेहतरीन सिस्टम हर चिज मे है ।
आईए दिखाते है । Fact:1 29 Sura Initialled letters use and Holy Qu'ran in Arabic language Initialeed Sura Total =29 Total Arabic Letters =28 29+28 =57 =>19x3
पवित्र कुरआन मे ये अक्षर उपयोग होने वाले टोटल सुरा = 29 पवित्र कुरआन अरबी भाषा मे नाजिल हुई अरबी भाषा टोटल अक्षर = 28 29+28 = 57 => 19x3 Fact :2 Initialled Sura no . Set & Non Initialled Sura no. Set सुरा न॰ जिनमे अक्षर उपयोग हुए और उनके सैट । सैट = सैट मतलब जैसे सुरा 2 3 मे अक्षर उपयोग हुए है तो ये सैट 1 हो गया उसके बाद अक्षर सुरा 7 मे उपयोग हुए है तो ये सैट 2 हो गया । Initialled Sura No. सुरा न॰ अक्षर उपयोग > 2 , 3 Set 1 > 7 Set 2 > 10, 11, 12, 13, 14, 15 Set 3 > 19 , 20 Set 4 >26, 27, 28, 29, 30, 31, 32 Set 5 > 36 Set 6 > 38 Set 7 >40, 41, 42, 43, 44, 45, 46 Set 8 > 50 Set 9 > 68 Set 10 Total Set = 10 Sura no. 2 between sura no. 68 Non-initialled Suras
सुरा न॰ 2 पहला सुरा जहाँ ये अक्षर उपयोग हुए है और सुरा न॰ 68 जहाँ आखीरी ये अक्षर उपयोग हुए है के बीच मे जितने भी सुरा है जिनमेँ ये उपयोग नहीँ हुए उनके सैट । सैट = सैट जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग नही हुए जैसे सुरा 4, 5, 6 ये सैट 1 हो गया । Non- Initialled sura no > 4, 5, 6 Set 1 > 8, 9 Set 2 > 16, 17, 18 Set 3 > 21, 22, 23, 24, 25 Set 4 > 33, 34, 35 Set 5 > 37 Set 6 > 39 Set 7 > 47, 48, 49 Set 8 > 51, 52, 53, 54, 55, 56, 57, 58, 59, 60, 61, 62, 63, 64, 65, 66, 67 Set 9 Total Set Initialled Sura = 10 Total Set Non Initialled Sura =9 10+9 = 19 => 19x1 टोटल सैट अक्षर उपयोग हुए = 10 टोटल सैट अक्षर उपयोग नही हुए =9 10+9 = 19 => 19x1 Non- Initialled sura no सुरा न॰ अक्षर उपयोग नही 4 5 6 8 9 16 17 18 21 22 23 24 25 33 34 35 37 39 47 48 49 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 ______ 38 => 19x2

पहली बार अक्षर जिस सुरत मे उपयोग हुए है उनसे लेकर और जहाँ आखीरी बार अक्षर उपयोग हुए है उन के बिच मे 38 सुरते है जिनमे ये अक्षर उपयोग नहीँ हुए । Continue in Part 5 In shah Allah पोसट जारी रहेगी पार्ट 5 मे इन्शा अल्लाह —
पोस्ट -मोहम्मद बिलाल (विकाश वशिष्ठ)

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट-5

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters Verses part- 5 कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 5 'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, The Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19 Plz see my post 1, 2, 3, 4 गणितिय चमत्कार शरु नम्बर 19 &7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहले की पोस्टे देखेँ । 19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है - Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ? देखीये - हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~ पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । Why Intialled letters Use 29 Sura ? Alhamdulillah All thanx to Allah This Is Miracles System In Holy Qu'ran . This Miracles system Only found in Holy Qu'ran . Miracles System in Every Suras Every Ayats Every words Every Letters if these Initialled use One more Sura Or One less Sura So this System Finish . आखीर ये अक्षर 29 सुरतो मे ही क्यो उपयोग हुए ? अल्लाह ने पवित्र कुरआन के हर सुरतो हर आयतो हर शब्दो हर अक्षरो मे एक मिरकैलस सिस्टम चमत्कारी सिस्टम रखा है जो आपको पवित्र कुरआन के सिवा बाकि किसी भी किताब मे नहीँ मिलेगा । कुरआन ए पाक के 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर 29 मे से एक भी ज्यादा या कम सुरत मे ये अक्षर उपयोग होते तो वो सिस्टम बिगड जता जो पवित्र कुरआन मे है इतना ही नहीँ जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी अलग सुरत मे होते तो भी सिस्टम बिगड जाता इतना ही नहीँ जिन आयतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी आयत कम या ज्यादा या अलग होती तो भी सिस्टम बिगड जाता । इतना बारीकी से इतना बेहतरीन मिरकैलस सिस्टम कुरआन ए पाक की हर चिज मे है । आईए दिखाते है । Holy Qur'an 29 chapters Initialeed letters frist chapter Use Initialeed letters chapter no.2 last chapter chapter no68 Sura 2 Total ayt = 286 Sura 68 Total ayt = 52 28652 /19 => 19x1508 कुरआन ए पाक मे 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है । पहली बार सुरा न॰ 2 मे उपयोग हुए है और आखीरी बार सुरा न॰ 68 मे उपयोग हुए है । सुरा न॰2 टोटल आयते =286 सुरा न॰68 टोटल आयते =52 28652 /19 => 19x 1508 Letters Alif , lam, Mim using in 6 chapters every time using Verse 1 अक्षर अलिफ , लाम , मिम 6 सुरतो मे उपयोग हुए है हर बार आयत न॰1 मे उपयोग हुए है 111111 is a number multiple of 7 6 सुरतो मे हर बार पहली आयतो मे उपयोग हुए है । 111111 => 7×15873 letters 'Alif, lam, Mim' frist time mention in sura 2 last time mention in sura 32 Sura no.2 ayts = 286 Sura no.32 ayts = 30 ये अक्षर अलिफ ,लाम , मिम पहली बार सुरा न॰ 2 मे आये है और आखीरी बार सुरा न॰32 मे सुरा न॰ 2 आयते = 286 सुरा न॰ 32 आयते = 30 28630/7 => 7x 4090 Frist time Alif ,lam, Mim mention Chapter 2 Last time mention 32 पहली बार अलिफ , लाम ,मिम सुरा न॰ 2 मे उपयोग हुए है । आखीरी बार सुरा न॰ 32 मे है । 322/7 => 7x 46 Now we try with the number of the verses of each chapter; we write: अब हम इन 6 सुरतो की आयते लिख के देखते है Sura 2 Ayts = 286 Sura 3 Ayts = 200 Sura 29 Ayts = 69 Sura 30 Ayts = 60 Sura 31 Ayts = 34 Sura 32 Ayts = 30 These numbers, ranged one next to the other, give a number multiple of 7: ये आयते सख्याँ भी एक के बाद दुसरी एक साथ लिखने पर 7 से भाग है । 30346069200286 => 7 ×4335152742898 If we gather the numbers of the verses, we will have a number multiple of 7 too! अगर हम इन 6 सुरतो कि आयतो को जोडते है तो भी जो सख्याँ आती है वो 7 से भाग होती है । 30 + 34 + 60 + 69 + 200 + 286 = 679 => 7 × 97 Then if we only gather the numbers, we will get again and again a number multiple of 7!! अगर हम इन सुरतो की आयतो को एक एक करके जोडते है तो भी जो सख्याँ आती है वो 7 से भाग है । 3 + 0 + 3 + 4 + 6 + 0 + 6 + 9 +2+0 + 0 + 2 + 8 + 6 = 49 => 7 × 7 Continue in Part 6 In shah Allah पोसट जारी रहेगी पार्ट 6 मे इन्शा अल्लाह !

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट-6

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses part- 6 कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 6 'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, The Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19 Plz see my post 1, 2, 3, 4 ,5 गणितिय चमत्कार शरु नम्बर 19 & 7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहले की पोस्टे देखेँ । 19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ? देखीये - हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~ पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । Why Intialled letters Use 29 Sura ? Alhamdulillah All thanx to Allah This Is Miracles System In Holy Qu'ran . This Miracles system Only found in Holy Qu'ran . Miracles System in Every Suras Every Ayats Every words Every Letters if these Initialled use One more Sura Or One less Sura So this System Finish . आखीर ये अक्षर 29 सुरतो मे ही क्यो उपयोग हुए ? अल्लाह ने पवित्र कुरआन के हर सुरतो हर आयतो हर शब्दो हर अक्षरो मे एक मिरकैलस सिस्टम चमत्कारी सिस्टम रखा है जो आपको पवित्र कुरआन के सिवा बाकि किसी भी किताब मे नहीँ मिलेगा । कुरआन ए पाक के 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर 29 मे से एक भी ज्यादा या कम सुरत मे ये अक्षर उपयोग होते तो वो सिस्टम बिगड जता जो पवित्र कुरआन मे है इतना ही नहीँ जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी अलग सुरत मे होते तो भी सिस्टम बिगड जाता इतना ही नहीँ जिन आयतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी आयत कम या ज्यादा या अलग होती तो भी सिस्टम बिगड जाता । इतना बारीकी से इतना बेहतरीन मिरकैलस सिस्टम कुरआन ए पाक की हर चिज मे है । आईए दिखाते है । Holy Qur'an 29 chapters Initialeed letters Use ~> Alif, lam, Mim, Qaf, Sad ,Ta, Ha, Ya, Sin, Kaf, Ayn, Nun , Haa , Ra पवित्र कुरआन मे 29 सुरतो मे अक्षर उपयोग हुए है । ये अक्षर ~> अलिफ , लाम , मिम , काफः , साद , ता , हा , या , सीन , काफ , अएन , नुन , ह्रा , रा Note that 14 Initialeed letters use in 29 Chapters . ध्यान देने वाली बात 29 सुरतो मे ये अक्षर 14 उपयोग हुए है । Initialeed letters Use 14 => 7 x2 अक्षर उपयोग 14 => 7x2 Sura No. & Ayts total Initialeed letters Use ~ सुरा न॰ और टोटल आयते उन सुरतो कि जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है । Sura No. Total Aayats Sura no. 2 Ayt = 286 Sura no. 3 Ayt = 200 Sura no. 7 Ayt = 206 Sura no. 10 Ayt = 109 Sura no. 11 Ayt = 123 Sura no. 12 Ayt = 111 Sura no. 13 Ayt = 43 Sura no. 14 Ayt = 52 Sura no. 15 Ayt = 99 Sura no. 19 Ayt = 98 Sura no. 20 Ayt = 135 Sura no. 26 Ayt = 227 Sura no. 27 Ayt = 93 Sura no. 28 Ayt = 88 Sura no. 29 Ayt = 69 Sura no. 30 Ayt = 60 Sura no. 31 Ayt = 34 Sura no. 32 Ayt = 30 Sura no. 36 Ayt = 83 Sura no. 38 Ayt = 88 Sura no. 40 Ayt = 85 Sura no. 41 Ayt = 54 Sura no. 42 Ayt = 53 Sura no. 43 Ayt = 89 Sura no. 44 Ayt = 59 Sura no. 45 Ayt = 37 Sura no. 46 Ayt = 35 Sura no. 50 Ayt = 45 Sura no. 68 Ayt = 52 __________ _________ Total =822 Total=2743 ~>114 Sura's Total =6555 > 6555-822 =5733 => 7x 819 ~> 114 Ayt's Total =6236 6236 - 2743 = 3493 => 7x499 114 सुरतो का टोटल =6555 6555 - 822 = 5733 => 7x 819 114 सुरतो की आयतो का टोलट = 6236 6236 - 2743 = 3493 =>7 x499 More Amazing ~ 8+2+2+2+7+4+3 = 28 => 7x4 29 सुरतो के सुरतो और आयतो के टोटल को एक एक करके जोडने पर जो सख्याँ आती है वो भी 7 से भाग है । 8+2+2+2+7+4+3 =28 => 7x 4 More Amazing ~ 28 Sura letters use in 1 verse Only 1 chapter in letters use in 2 verse chapter no.42 28 सुरते ऐसी है जिसमे ये अक्षर 1 आयत मे उपयोग हुए है । और बस एक सुरत ऐसी है जिसमे ये अक्षर 2 आयतो मे उपयोग हुए है । वो है सुरा न॰42 । Letters Use 1 Verse chapters = 28 => 7x4 Letters Use 2 Verse chapter = 42 => 7x 6 1 आयत मे अक्षर उपयोग हुए सुरते = 28 => 7x4 2 आयतो मे अक्षर उपयोग हुई सुरत = 42 => 7x6 Now Big Miracles System Never ever Found in any Book Only in Holy Qu'ran . बडा मिरकलैस सिस्टम चमत्कारी सिस्टम जो पवित्र कुरआन के सिवा किसी भी किताब कभी भी नहीँ मिल सकता । 29 Chapters Use Initialeed letters ~ 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है । All Sura numbers Initialeed letters Use sura numbers & All Ayats total Initialeed letters use Aayts total divide by 7 हर सुरतो के नम्बर जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है और हर सुरतो कि आयते जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है । भाग 7 से । All Sura numbers & All sura Aayts / 7 हर सुरतो के नम्बर और सुरतो कि आयते / 7 237101112131415192026272829303 132363840414243444546506828620 020610912311143529998135227938 869603430838885545389593735455 2 / 7 Huge 121 digits numbers divide 7 121 नम्बरो कि सख्याँ 7 से पुरी भाग होती है । 338715874473450274323246899004 474805486306062063637866898028 600872731873062185711621754198 385147758341265064842276764936 Alhamdulillah Allah hu Akbar अल्हमदुल्लिल्लाह अल्लाह हू अकबर Can you produce a mathematically programmed book, IN YOUR MIND without computers,0search programs, calculus and you cant write . Our Holy Qur'an Unchallengeable & Unchangeable Miracles. Eternal Miracles Sign . क्या आप बना सकते है ऐसा गणितिय मिरकलैस सिस्टम सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन करके क्या आप कर पायेगेँ बिना कम्पयुटर कलैक्युलेशन टैक्नोलोनी के सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन । पवित्र कुरआन Unchallengeable और Unchangeable Eternal Miracles Sign . कभी ना खत्म होने वाली चमत्कारी इशवरीय इल्म की निशानिया । Post Continue in Part 7 In shah Allah पोसट जारी रहेगी पार्ट 7 मे इन्शा अल्लाह ।

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट -07

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses part- 7 कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 7 'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, The Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19 Plz see my post 1, 2, 3, 4 ,5 ,6 गणितिय चमत्कार शरु नम्बर 19 & 7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहले की पोस्टे देखेँ । 19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ? देखीये - हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~ पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । Why Intialled letters Use 29 Sura ? Alhamdulillah All thanx to Allah This Is Miracles System In Holy Qu'ran . This Miracles system Only found in Holy Qu'ran . Miracles System in Every Suras Every Ayats Every words Every Letters if these Initialled use One more Sura Or One less Sura So this System Finish . आखीर ये अक्षर 29 सुरतो मे ही क्यो उपयोग हुए ? अल्लाह ने पवित्र कुरआन के हर सुरतो हर आयतो हर शब्दो हर अक्षरो मे एक मिरकैलस सिस्टम चमत्कारी सिस्टम रखा है जो आपको पवित्र कुरआन के सिवा बाकि किसी भी किताब मे नहीँ मिलेगा । कुरआन ए पाक के 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर 29 मे से एक भी ज्यादा या कम सुरत मे ये अक्षर उपयोग होते तो वो सिस्टम बिगड जता जो पवित्र कुरआन मे है इतना ही नहीँ जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी अलग सुरत मे होते तो भी सिस्टम बिगड जाता इतना ही नहीँ जिन आयतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी आयत कम या ज्यादा या अलग होती तो भी सिस्टम बिगड जाता । इतना बारीकी से इतना बेहतरीन मिरकैलस सिस्टम कुरआन ए पाक की हर चिज मे है । आईए दिखाते है । Sura Numbers And Initialeed letters and Number of Initialeed Letters. सुरा न॰ और अक्षर जो सुरतो मे उपयोग हुए है और अक्षरो कि सख्याँ - Sura no.2~ Alif, lam, Mim , L > 3 Sura no.3~ Alif , lam, Mim , L > 3 Sura no.7~ Alif, lam, Mim, Sad L > 4 Sura no.10~ Alif, lam, Ra L > 3 Sura no.11~ Alif, lam, Ra L > 3 Sura no.12~ Alif, lam, Ra L > 3 Sura no.13~ Alif, lam, Mim, Ra L > 4 Sura no.14~ Alif, lam, Ra L > 3 Sura no.15~ Alif, lam, Ra L > 3 Sura no.19~ Kaaf, ha, ya, Ayn, Sad L > 5 Sura no.20~ Ta, ha L > 2 Sura no.26~ Ta, Seen, Mim L > 3 Sura no.27~ Ta, Seen L > 2 Sura no.28~ Ta, Seen, Mim L > 3 Sura no.29~ Alif, lam, Mim L > 3 Sura no.30~ Alif, lam, Mim L > 3 Sura no.31~ Alif, lam, Mim L > 3 Sura no.32~ Alif, lam, Mim L > 3 Sura no.36~ Ya, Seen L > 2 Sura no.38~ Sad L > 1 Sura no.40~ Ha, Mim L > 2 Sura no.41~ Ha, Mim L > 2 Sura no.42~ Ha, Mim,& Ayn, Seen, Kaaf L > 5 Sura no.43~ Ha, Mim L > 2 Sura no.44~ Ha, Mim L > 2 Sura no.45~ Ha, Mim L > 2 Sura no.46~ Ha, Mim L > 2 Sura no.50~ Qaf L > 1 Sura no.68~ Nun L > 1 Sura No. & Number of Letters & Ayts total Initialeed letters Use ~ सुरा न॰ और अक्षरो कि सखयाँ और उन सुरतो कि आयते जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है । Sura No. L Total Ayts Sura no.2 3 Ayt = 286 Sura no.3 3 Ayt = 200 Sura no.7 4 Ayt = 206 Sura no.10 3 Ayt = 109 Sura no.11 3 Ayt = 123 Sura no.12 3 Ayt = 111 Sura no.13 4 Ayt = 43 Sura no.14 3 Ayt = 52 Sura no.15 3 Ayt = 99 Sura no.19 5 Ayt = 98 Sura no.20 2 Ayt = 135 Sura no.26 3 Ayt = 227 Sura no.27 2 Ayt = 93 Sura no.28 3 Ayt = 88 Sura no.29 3 Ayt = 69 Sura no.30 3 Ayt = 60 Sura no.31 3 Ayt = 34 Sura no.32 3 Ayt = 30 Sura no.36 2 Ayt = 83 Sura no.38 1 Ayt = 88 Sura no.40 2 Ayt = 85 Sura no.41 2 Ayt = 54 Sura no.42 5 Ayt = 53 Sura no.43 2 Ayt = 89 Sura no.44 2 Ayt = 59 Sura no.45 2 Ayt = 37 Sura no.46 2 Ayt = 35 Sura no.50 1 Ayt = 45 Sura no.68 1 Ayt = 52 Initialeed Letters use Sura Numbers सुरते जिनमे अक्षर उपयोग हुए है ~ 2 3 7 10 11 12 13 14 15 19 20 26 27 28 29 30 31 32 36 38 40 41 42 43 44 45 46 50 68 Number of Initialeed letters use each sura हर सुरतो मे अक्षरो कि सख्याँये ~ 3 3 4 3 3 3 4 3 3 5 2 3 2 3 3 3 3 3 2 1 2 2 5 2 2 2 2 1 1 Initialeed letters use Aayats सुरतो की आयते जिनमे ये अक्षर उपयोग हुए है ~ 286 200 206 109 123 111 43 52 99 98 135 227 93 88 69 60 34 30 83 88 85 54 53 89 59 37 35 45 52 All initialeed letters sura Numbers & Number of All initialeed letters & All initialeed letters Aayts / 7 divide by 7 237101112131415192026272829303 132363840414243444546506833433 343352323333321225222211286200 206109123111435299981352279388 696034308388855453895937354552 /7 Amazingly more Amazingly huge 150 digits Numbers divide by 7 338715874473450274323246899004 474805486306062063637866904904 776217604761887464603158980286 008727318730621857116217541983 85147758341265064842276764936 Alhamdulillah Allah hu Akbar अल्हमदुल्लिल्लाह अल्लाह हू अकबर Can you produce a mathematically programmed book, IN YOUR MIND without computers, search programs, calculus and you cant write . Our Holy Qur'an Unchallengeable & Unchangeable Miracles. Eternal Miracles Sign . क्या आप बना सकते है ऐसा गणितिय मिरकलैस सिस्टम सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन करके क्या आप कर पायेगेँ बिना कम्पयुटर कलैक्युलेशन टैक्नोलोनी के सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन । पवित्र कुरआन Unchallengeable और Unchangeable Eternal Miracles Sign . कभी ना खत्म होने वाली चमत्कारी इशवरीय इल्म की निशानिया । Post Continue in Part 8 In shah Allah पोसट जारी रहेगी पार्ट 8 मे इन्शा अल्लाह ।

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट - 08

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses part- 8 कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 8 'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, The Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19 Plz see my post 1, 2, 3, 4 ,5 ,6, 7 गणितिय चमत्कार शरु नम्बर 19 & 7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहले की पोस्टे देखेँ । 19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ? देखीये - हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~ पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । Why Intialled letters Use 29 Sura ? Alhamdulillah All thanx to Allah This Is Miracles System In Holy Qu'ran . This Miracles system Only found in Holy Qu'ran . Miracles System in Every Suras Every Ayats Every words Every Letters if these Initialled use One more Sura Or One less Sura So this System Finish . आखीर ये अक्षर 29 सुरतो मे ही क्यो उपयोग हुए ? अल्लाह ने पवित्र कुरआन के हर सुरतो हर आयतो हर शब्दो हर अक्षरो मे एक मिरकैलस सिस्टम चमत्कारी सिस्टम रखा है जो आपको पवित्र कुरआन के सिवा बाकि किसी भी किताब मे नहीँ मिलेगा । कुरआन ए पाक के 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर 29 मे से एक भी ज्यादा या कम सुरत मे ये अक्षर उपयोग होते तो वो सिस्टम बिगड ज!ता जो पवित्र कुरआन मे है इतना ही नहीँ जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी अलग सुरत मे होते तो भी सिस्टम बिगड जाता इतना ही नहीँ जिन आयतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी आयत कम या ज्यादा या अलग होती तो भी सिस्टम बिगड जाता । इतना बारीकी से इतना बेहतरीन मिरकैलस सिस्टम कुरआन ए पाक की हर चिज मे है । आईए दिखाते है । 29 chapters use initialed letters Chapters ~ 29 सुरतो मे अक्षर उपयोग हुए है । सुरतेँ ~ 2 3 7 10 11 12 13 14 15 19 20 26 27 28 29 30 31 32 36 38 40 41 42 43 44 45 46 50 68 29 Chapters initialed letters Group's ~> 29 सुरतो के अक्षरो के गुरुप Ist Group~ Alif Lam Mim letters => 3 Sura no.2~ Alif, lam, Mim Sura no.3~ Alif , lam, Mim Sura no.29~ Alif, lam, Mim Sura no.30~ Alif, lam, Mim Sura no.31~ Alif, lam, Mim Sura no.32~ Alif, lam, Mim 2nd Group~ Alif, lam, Mim, Sad letters => 4 Sura no.7~ Alif, lam, Mim, Sad 3rd Group~ Alif, lam, Ra letters =>3 Sura no.10~ Alif, lam, Ra Sura no.11~ Alif, lam, Ra Sura no.12~ Alif, lam, Ra Sura no.14~ Alif, lam, Ra Sura no.15~ Alif, lam, Ra 4th Group~ Alif, lam, Mim, Ra letters => 4 Sura no.13~ Alif, lam, Mim, Ra 5th Group~ Kaaf, ha, ya, Ayn, Sad letters => 5 Sura no.19~ Kaaf, ha, ya, Ayn, Sad 6th Group~ Ta, ha letters => 2 Sura no.20~ Ta, ha 7th Group~ Ta, Seen, Mim letters => 3 Sura no.26~ Ta, Seen, Mim Sura no.28~ Ta, Seen, Mim 8th Group~ Ta, Seen letters => 2 Sura no.27~ Ta, Seen 9th Group~ Ya, Seen letters => 2 Sura no.36~ Ya, Seen 10th Group~ Sad letters => 1 Sura no.38~ Sad 11th Group~ Ha, Mim letters => 2 Sura no.40~ Ha, Mim Sura no.41~ Ha, Mim Sura no.43~ Ha, Mim Sura no.44~ Ha, Mim Sura no.45~ Ha, Mim Sura no.46~ Ha, Mim 12th Group~ Ha, Mim & Ayn, Seen, Kaaf letters => 5 Sura no.42~ Ha, Mim,& Ayn, Seen, Kaaf 13th Group~ Qaf letters => 1 Sura no.50~ Qaf 14th Group~ Nun letters => 1 Sura no.68~ Nun Group =14 => 7x2 & Letters =38 => 19x2 गुरुप = 14 => 7x2 अक्षरे = 38 => 19x2 Initial letters Use Chapters ~ अक्षर उपयोग हुए है वो सुरतेँ ~ 2 3 7 10 11 12 13 14 15 19 20 26 27 28 29 30 31 32 36 38 40 41 42 43 44 45 46 50 68 Group गुरुप ~ 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 Group Letters गुरुप अक्षरे ~ 3 4 3 4 5 2 3 2 2 1 2 5 1 1 Number of Letters use in every Chapters हर सुरतो मे जो अक्षर उपयोग हुए उनकी सख्याँ ~ 3 3 4 3 3 3 4 3 3 5 2 3 2 3 3 3 3 3 2 1 2 2 5 2 2 2 2 1 1 Initial letters use Chapters Aayats सुरतो की आयते जिनमे अक्षर उपयोग हुए है ~ 286 200 206 109 123 111 43 52 99 98 135 227 93 88 69 60 34 30 83 88 85 54 53 89 59 37 35 45 52 All Chapters numbers & All Groups numbers & All Groups letters & All initial letters & All initial letters chapters Aayats /19 divide by 19 सारी सुरतो के नम्बर & सारे गुरुप के नम्बर & सारे गुरुप के अक्षरो के नम्बर & सारे अक्षरो के नम्बर & सारी आयते जिन सुरतो मे अक्षर उपयोग हुए है /19 भाग 19 से 237101112131415192026272829303 132363840414243444546506812345 678910111213143434523221251133 433343352323333321225222211286 200206109123111435299981352279 388696034308388855453895937354­ 552/19 Amazingly More Amazingly Huge 183 digits numbers divide by 19 183 नम्बरो कि सख्याँ 19 से पुरी पुरी भाग ~ 124790059016534311592775173317 438086231796970233971845690708 252057953270075491854326974280 754391238064912274329064321729 579055846906900755421042816989 15194528121494150287047154597608 Alhamdulillah Allah hu Akbar अल्हमदुल्लिल्लाह अल्लाह हू अकबर Can you produce a mathematically programmed book, IN YOUR MIND without computers, search programs, calculus and you cant write . Our Holy Qur'an Unchallengeable & Unchangeable Miracles. Eternal Miracles Sign . क्या आप बना सकते है ऐसा गणितिय मिरकलैस सिस्टम सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन करके क्या आप कर पायेगेँ बिना कम्पयुटर कलैक्युलेशन टैक्नोलोनी के सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन । पवित्र कुरआन Unchallengeable और Unchangeable Eternal Miracles Sign . कभी ना खत्म होने वाली चमत्कारी इशवरीय इल्म की निशानिया । Post Continue in Part 9 In shah Allah पोसट जारी रहेगी पार्ट 9 मे इन्शा अल्लाह ।

कुरान में गणितीय चमत्कार पार्ट -9

Mathematics Miracles Holy Qur'an Chapters verses part- 9 कुरआन ए पाक मे गणितिय चमत्कारी निशानी सुरतेँ आयतेँ , पार्ट - 9 'Bismillah hir rahman nir raheem Meaning ' In the Name of Allah, The Most Beneficent, the Most Merciful. ' Alhamdulillah Miracles start with Number 19 & 7 ending with Number 7 & 19 Plz see my post 1, 2, 3, 4 ,5 ,6, 7, 8 गणितिय चमत्कार शरु नम्बर 19 & 7 खत्म होगा नम्बर 7 & 19 इन गणितिय चमत्कारो को शरु से समझने के लिए आप मेरी पहले की पोस्टे देखेँ । 19 ~ ~ ~7 7 ~ ~ ~ 19 Why 19 & 7 ? 19 और 7 ही क्यो ? क्योकि अल्लाह ने नम्बर 19 और नम्बर 7 को चमत्कारी निशानी के रुप मे फरमाया है आइये दिखाते है Allah says in sura 74 Aaya 30 Over it is 19 अल्लाह फरमाते है सुरा न॰74 आयत न॰ 30 मे और उन पर 19 नियुक्त है Allah says In Sura 15 Aaya - 87 " We have bestowed upon thee 7 oft repeated and the Greand Quran . [ Holy Qu'ran , 15:87 ] what is the relationship Number 19 & 7 with Holy Qur'an ? देखीये - हमने तुम्हेँ सात (7) "मसानी" का समुह यानी महान कुरआन दिया । [ पवित्र कुरआन , सुरा न॰ 15 , आयत न ॰ 87] कुरआन ए पाक कि तफसीरो मे लिखा है कि ये 'मसानी का मतलब 7 वर्ग या 7 आयते भी हो सकता है । क्या सम्बध है नम्बर 19 & 7 का पवित्र कुरआन से ? अल्हमदुल्लिलाह आईये जानने की कोशिश करते है The Holy Qur'an 114 Sura , 29 Sura start with Initial letters Alif, lam, Mim Qaf etc ~ पवित्र कुरआन मे टोटल 114 सुरते है । और 29 सुरा वो है जो " अलिफ , लाम , मिम , काफ आदी इससे शरु होते है । Why Intialled letters Use 29 Sura ? Alhamdulillah All thanx to Allah This Is Miracles System In Holy Qu'ran . This Miracles system Only found in Holy Qu'ran . Miracles System in Every Suras Every Ayats Every words Every Letters if these Initialled use One more Sura Or One less Sura So this System Finish . आखीर ये अक्षर 29 सुरतो मे ही क्यो उपयोग हुए ? अल्लाह ने पवित्र कुरआन के हर सुरतो हर आयतो हर शब्दो हर अक्षरो मे एक मिरकैलस सिस्टम चमत्कारी सिस्टम रखा है जो आपको पवित्र कुरआन के सिवा बाकी किसी भी किताब मे नहीँ मिलेगा । कुरआन ए पाक के 29 सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर 29 मे से एक भी ज्यादा या कम सुरत मे ये अक्षर उपयोग होते तो वो सिस्टम बिगड जाता जो पवित्र कुरआन मे है इतना ही नहीँ जिन सुरतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी अलग सुरत मे होते तो भी सिस्टम बिगड जाता इतना ही नहीँ जिन आयतो मे ये अक्षर उपयोग हुए है अगर उनमे से एक भी आयत कम या ज्यादा या अलग होती तो भी सिस्टम बिगड जाता । इतना बारीकी से इतना बेहतरीन मिरकैलस सिस्टम कुरआन ए पाक की हर चिज मे है । आईए दिखाते है । 29 chapters use initialeed letters 29 सुरतो मे अक्षर उपयोग हुए है । Non Initialed letters Use Chapters - सुरते जिनमे ये अक्षर उपयोग नही हुए Frist Chapter & Last Chapter पहली सुरत और आखिरी सुरत Chapter 1 Verse = 7 Chapter 114 verse = 6 सुरा न॰ 1 आयते = 7 सुरा न॰114 आयते = 6 76/19 => 19x4 29 Chapters initialeed letters Group's ~> 29 सुरतो के अक्षरो के गुरुप Ist Group~ Alif Lam Mim letters => 3 Sura no.2~ Alif, lam, Mim Sura no.3~ Alif , lam, Mim Sura no.29~ Alif, lam, Mim Sura no.30~ Alif, lam, Mim Sura no.31~ Alif, lam, Mim Sura no.32~ Alif, lam, Mim 2nd Group~ Alif, lam, Mim, Sad letters => 4 Sura no.7~ Alif, lam, Mim, Sad 3rd Group~ Alif, lam, Ra letters => 3 Sura no.10~ Alif, lam, Ra Sura no.11~ Alif, lam, Ra Sura no.12~ Alif, lam, Ra Sura no.14~ Alif, lam, Ra Sura no.15~ Alif, lam, Ra 4th Group~ Alif, lam, Mim, Ra letters => 4 Sura no.13~ Alif, lam, Mim, Ra 5th Group~ Kaaf, ha, ya, Ayn, Sad letters => 5 Sura no.19~ Kaaf, ha, ya, Ayn, Sad 6th Group~ Ta, ha letters => 2 Sura no.20~ Ta, ha 7th Group~ Ta, Seen, Mim letters => 3 Sura no.26~ Ta, Seen, Mim Sura no.28~ Ta, Seen, Mim 8th Group~ Ta, Seen letters => 2 Sura no.27~ Ta, Seen 9th Group~ Ya, Seen letters => 2 Sura no.36~ Ya, Seen 10th Group~ Sad letters => 1 Sura no.38~ Sad 11th Group~ Ha, Mim letters => 2 Sura no.40~ Ha, Mim Sura no.41~ Ha, Mim Sura no.43~ Ha, Mim Sura no.44~ Ha, Mim Sura no.45~ Ha, Mim Sura no.46~ Ha, Mim 12th Group~ Ha, Mim & Ayn, Seen, Kaaf letters => 5 Sura no.42~ Ha, Mim,& Ayn, Seen, Kaaf 13th Group~ Qaf letters => 1 Sura no.50~ Qaf 14th Group~ Nun letters => 1 Sura no.68~ Nun Group =14 => 7x2 & Letters = 38 => 19x2 गुरुप = 14 => 7x2 अक्षरे = 38 => 19x2 2 Groups when 5 initialed letters use ~ 2 गुरुप है जिनमे 5 अक्षर उपयोग हुए ~ Group no. 5 Group no. 12 2 Chapters when 5 initialed letters use ~ 2 सुरते जिनमे 5 अक्षर उपयोग हुए ~ Chapter no. 19 Chapter no. 42 19 =>19x1 42 => 7x6 Groups & Chapters numbers गुरुप और सुरतो के नम्बर 5121942/7 => 7x 731706 Initial letters Use Chapters ~ अक्षर उपयोग हुए है वो सुरतेँ ~ 2 3 7 10 11 12 13 14 15 19 20 26 27 28 29 30 31 32 36 38 40 41 42 43 44 45 46 50 68 Group गुरुप ~ 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 Group Letters गुरुप अक्षरे ~ 3 4 3 4 5 2 3 2 2 1 2 5 1 1 Number of Letters use in every chapters हर सुरतो मे जो अक्षर उपयोग हुए उनकी सख्याँ ~ 3 3 4 3 3 3 4 3 3 5 2 3 2 3 3 3 3 3 2 1 2 2 5 2 2 2 2 1 1 Initial letters use Chapters Aayats सुरतो की आयते जिनमे अक्षर उपयोग हुए है ~ 286 200 206 109 123 111 43 52 99 98 135 227 93 88 69 60 34 30 83 88 85 54 53 89 59 37 35 45 52 Non initialed letters use Chapters ~ जिन सुरतो मे अक्षर उपयोग नही हुए वो सुरते 1 4 5 6 8 9 16 17 18 21 22 23 24 25 33 34 35 37 39 47 48 49 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 All Initialed Chapters numbers & All Groups numbers & All Groups letters & All Initialed letters & All Initialed letters chapters Aayats & All non Initialed Chapters सारी सुरते जिनमे अक्षर उपयोग हुए है & सारे गुरुप के नम्बर & सारे गुरुप के अक्षरो के नम्बर & सारे अक्षरो के नम्बर & सारी आयते जिन सुरतो मे अक्षर उपयोग हुए है & सारी सुरते जिनमे अक्षर उपयोग नही हुए /7 भाग 7 से 237101112131415192026272829303 132363840414243444546506812345 678910111213143434523221251133 433343352323333321225222211286 200206109123111435299981352279 388696034308388855453895937354­ 552145689161718212223242533343 537394748495152535455565758596 061626364656667697071727374757 677787980818283848586878889909 192939495969798991001011021031 041051061071081091101111121131 14/7 Amazing Amazing huge 362 digits numbers divide by 7 338715874473450274323246899004 474805486306062063637866874779 541300158875919192176030358762 047633360461904744607460301837 428865870175873478999973360399 126708620440555507791279910506­ 503065270231026017461775047633 624849640707360764936522512280 088037663795239567245324821082 396839972597548355124112699870 275627851385427130001444315758 6300729443872587015730158873302 LAST DIGITS 361 19X19 Alhamdulillah Allah hu Akbar अल्हमदुल्लिल्लाह अल्लाह हू अकबर Can you produce a mathematically programmed book, IN YOUR MIND without computers, search programs, calculus and you cant write . Our Holy Qur'an Unchallengeable & Unchangeable Miracles. Eternal Miracles Sign . क्या आप बना सकते है ऐसा गणितिय मिरकलैस सिस्टम सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन करके क्या आप कर पायेगेँ बिना कम्पयुटर कलैक्युलेशन टैक्नोलोनी के सिर्फ अपने दिमाग से कलैक्युलेशन । पवित्र कुरआन Unchallengeable और Unchangeable Eternal Miracles Sign . कभी ना खत्म होने वाली चमत्कारी इशवरीय इल्म की निशानिया । Alhamdulillah rabil Alamin " All praises be to God . The Lord of the Multiverse —