आधुनिक युग में खगोलशास्त्रियों ने यह खोज
की
है कि पृथ्वी पर जितना भी लोहा पाया जाता है,
उसका
उत्पादन पृथ्वी पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में फैले
हुए बड़े- बड़े सितारों पर हुआ था और सुपरनोवा
धमाके और उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से
यहां तक पहुंचा
है।
क़ुरआन ने लोहे के पृथ्वी के बाहर से यहां आने
की बात
1400 वर्ष पूर्व ही बता दी थी।
‘‘..और हमने लोहा उतारा जिसमें बड़ा ज़ोर है
और लोगों के लिए लाभ है...।’’
(क़ुरआन , 57:25)
यहां नाजिल किया मतलब ‘‘उतारा’’ शब्द इस
ओर संकेत कर रहा है
कि लोहा पृथ्वी पर उत्पन्न नहीं हुआ बल्कि
बाहर से आया है।
लोहे का बनना बहूत साल पेहले अंतरिक्ष मैं हुआ
था और वहाँ पर जहाँ का तापमान सूरज से भी
ज्याद होता हैं सूपरनौवां मैं
यह खोज विज्ञान
ने 20 वी शताब्दी मैं की लोहा पृथ्वी पर उत्पन
नही हुआ बल्के अंतरिक्ष से आया हैं और कुरान
मैं जो शब्द इस्तेमाल हुऐ हैं वो
हैं ' नाजिल ' मतलब लोहे को पृथ्वी पर नाजिल
किया उतारा
कुरान मैं जो सुरा इस्तेमाल हुई
'अल-हदिद' उसकी अब्जाद calculaton भी
57 हैं
लोहा पृथ्वी के बीच मैं पाया जाता है,
और हम मुसलिम जनते हैं पवित्र कुरआन मैं 114
सुरा हैं , जो सुरा सेंटर मैं हैं बिच में उसका नाम
ही हदिद हैं
मतलब ' लोहा ' और यह सुरा कुरआन मैं
बिल्कुल बिच
मैं हैं जो अपने आप मैं खुद एक चमत्कारी
निशानी हैं ।
सुभान अल्लाह पवित्र कुरआन अल्लाह की
नाजिल की हुई किताब हैं जिसे हर चीज़ का पूरा
इल्म
हैं ।
अल्लाह (ईश्वर) सुब्हान व तआला की कोन
कोन सी नेमतो को जुठलाओगे....??
क्या कोई बता सकता है कि 1400 साल पहले
ये कौन जानता था कि पृथिवी पर जो लोहा
पाया जाता है उसका उत्पादन पृथिवी पर नहीँ
बल्कि अंतरिक्ष मे बडे - बडे सितारोँ पर हुआ
था
ये बता पाना किसी ईन्सान के लिए 1400 साल
पहले सम्भव ही नहीँ था
कुरान ए पाक
अल्लाह का कलाम है जो आज साबित हो चुका
है
PRF - VIDEO
https://m.youtube.com/watch?v=SdspgcduzUM
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