Saturday 17 September 2016

कुछ गैर मुस्लिम भाई लोग पूछते हैं कि अल्लाह का अस्तित्व वास्तव मे है भी या नहीं, मुस्लिम भाई ये कैसे सिद्ध करेंगे ??

कुछ गैर मुस्लिम भाई लोग पूछते हैं कि अल्लाह का
अस्तित्व वास्तव मे है भी या
नहीं, मुस्लिम भाई ये कैसे सिद्ध करेंगे ??

पहली बात तो मै यही कहना चाहता हूँ कि अल्लाह कोई अलग ईश्वर नहीं बल्कि विश्व के हर धर्म के मूल मे बताए गए एक और निराकार ईश्वर का ही नाम है …तो विश्व का जो भी व्यक्ति एक और निराकारईश्वर मे विश्वास करता है वो वास्तव मे अल्लाह पर ही विश्वास करता है! हां, ये बात अलग है कि वो अल्लाह का हक न अदा करता
हो !! 
जहाँ तक अल्लाह के अस्तित्व का सबूत होने की बात है, तो अल्लाह के होने का सबसे बड़ा सबूत है कुरान पाक जिसके विषय मे अल्लाह फरमाता है कि यदि किसी को कुरान के विषय मे ये शक हो कि ये मनुष्य का लिखा हुआ है तो उसे चैलेन्ज है कि वो कुरान जैसी एक ही आयत बना लाए और अगर न ला पाए तो ये मान ले कि ये कुरान तुम्हारे रब्ब का ही भेजा हुआ है …लेकिन 1400 वर्ष बीत गए कुरान का ये चैलेन्ज अब तक कायम है और कोई भी व्यक्ति कुरान जैसी कोई आयत नहीं ला सका…!!
ध्यान देने की बात है कि कुरान का अवतरण एक ऐसे महापुरुष पर हुआ जो न तो पढ़े लिखे थे, न ही पेशे से कोई वैज्ञानिक या चिकित्सक थे इसके बावजूद कुरान मे ऐसी ऐसी विज्ञान की बातें आज से 1400 साल पहले लिख दी गई हैं,जिनको पढ़ के आज भी आधुनिक विज्ञान का ज्ञान रखने वाले अपने दांतो तले अंगुलियां दबा लेते हैं ।
आप ही सोचिए ब्रह्माण्ड के जन्म की बिग बैंग थ्योरी,चन्द्रमा का प्रकाश उसका अपना नही,धरती का आकार वास्तव मे गोल है, पेड़ पौधों मे भी जीवन है, मानव शिशु के जन्म की प्रक्रिया जैसी विज्ञान की जिन बातों का ज्ञान मनुष्य को अब से महज़ डेढ़ दो सौ वर्ष पूर्व ही हो सका है ।
तो अब से 1400 वर्ष पूर्व हज़रत मोहम्मद स.अ.व. के पास उस ज्ञान के पहुंचने का स्रोत क्या था ..??? अन्य कोई स्रोत आपको समझ पड़ता हो तो बता दीजिए…. अन्यथा ये मान लीजिए कि निश्चित ही वो अल्लाह था जिसने नबी स.अ.व. को ये अमूल्य ज्ञान दिया ..!!!
इसके अतिरिक्त आप ये भी जानते होंगे कि विश्व मे ऐसी बहुत सी अनोखी बातें हुई हैं जिनके होने का क्या कारण था, विज्ञान इस पर मौन रहा है … और हार कर दुनिया के
वैज्ञानिकों को मानना ही पड़ा है कि कोई न कोई ऐसी सुपर नेचुरल पावर है , जिसे विज्ञान के द्वारा समझा नहीं जा सकता, और जो विज्ञान से परे होने वाली ऐसी
घटनाओं का कारण है, यही सुपर नेचुरल पावर है अल्लाह और अल्लाह ने कुरान ए पाक मे ऐसी कई चमत्कारी घटनाओं का वर्णन किया है जिनपर विज्ञान मौन है,
जैसे अल्लाह ने मिस्र के जालिम शासक फिरऔन की लाश को सदा के लिए बचाए रखने का पवित्र कुरान मे वादा किया है ताकि फिरऔन के अंजाम से दुनिया वाले सबक लें अब से सौ वर्ष पूर्व फिरऔन की वो लाश लाल सागर मे उतराती हुई पाई गई जिसपर कई परीक्षण करने के बाद भी वैज्ञानिक ये पता नही लगा पाए कि फिरऔन की मौत के 3000 वर्ष बाद भी उसका शरीर सड़ गल कर नष्ट क्यों नहीं हुआ।
जब विज्ञान इस प्रश्न का उत्तर नही दे सका तो फिरऔन की लाश पर 1981 मे परीक्षण करने वाले फ्रांस के ख्यातिलब्ध चिकित्सक “डाक्टर मौरिस बुकाय” इस चमत्कार के पीछे के कारण उस सुपर नेचुरल पावर अल्लाह के आगे नतमस्तक हो
गए और इस्लाम कुबूल कर लिया जिन लोगों को भी अल्लाह के अस्तित्व पर शंका है, मेरी उन लोगों
को यही सलाह है कि वो दुनिया मे फैले चमत्कारों जैसे बरमूडा त्रिकोण, फिरऔन का अक्षय शरीर आदि के उत्तर ढूंढ कर लाने की कोशिश करें… साथ ही ये भी पता करने की कोशिश करें कि पवित्र कुरान मे विज्ञान की वो बातें कैसे दर्ज कर ली गई थीं जिनका ज्ञान 1400 वर्ष पहले किसी भी मनुष्य को नही था और यदि आप इन सवालों का कोई उत्तर न ढूंढ पाएं तो मान लीजिए कि इन सब बातों के पीछे अल्लाह ही कारण है मुझे तो अपने अल्लाह के अस्तित्व पर पूरी तरह विश्वास है क्योंकि अल्लाह ने कुरान मे वादा किया है कि

“मुझसे दुआ मांगो (एकेश्वर मे पूरा विश्वास रखकर), मै
तुम्हारी दुआ कुबूल करूंगा”

तो मैंने जब भी अल्लाह से पूरे विश्वास के साथ दुआ मांगी मेरी दुआ अक्षरश कुबूल हुई है …. जिन लोगों का भी विश्वास अल्लाह/निराकार ईश्वर के विषय मे डांवाडोल रहता है वो पहले कुरान के प्रमाणो पर शोध कर के ये जान लें कि अल्लाह का अस्तित्व है

फिर केवल एक अल्लाह मे विश्वास करते हुए दुआ मांगे तो जब उनकी दुआएं कुबूल हो जाएंगी तो उन्हें ये विश्वास भी हो जाएगा कि केवल अल्लाह ही पूज्यप्रभू है॥

Friday 16 September 2016

तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हे..???

क्या इस्लाम एक बुरा धर्म हैं!!!

जब से इस्लाम धर्म दुनिया में आया हैं , तब से ही इस्लाम को बुरा कहने वाले भी पैदा हो गये हैं।
इस्लाम धर्म से चिढने वालों की हर वक़्त यही कोशिश रहती हैं कि किसी न किसी तरीके से इस्लाम को बदनाम किया जाए
और वे इस्लाम धर्म के प्रति अलग अलग प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं।आखिरकार वे इस्लाम से चिढते क्यों हैं? जबकि

1-इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया। अगर ये बात बुरी हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

2-इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

3- इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेंगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

4-इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं। अगर ऐसी बात सिखाना गलत हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

5-इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं। और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

6-इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

7- इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ। अगर विधवाओ को अधिकार देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

8- इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। समानता की शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

9-इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ। पड़ोसी की मदद करना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

10-इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे। अगर समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करना बुरी बात हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

11- इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो। और कभी किसी गरीब और अनाथ की बद्दुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

12-इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

13-इस्लाम कहता है कि बुजुर्ग व्यक्ति का सम्मान करना मानों खुदा का सम्मान करने जैसा हैं। अगर तुम जन्नत (स्वर्ग) में जाना चाहते हो तो अपने मा बाप को हर हाल में खुश रखो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

14- इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

15-इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

16- इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

17- इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं।

18-पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल(उपयोग) करना। और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह(पाप)। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

19-रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु(पत्थर,कील,) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।

20-महिलाओ को आँख उठा कर देखना गुनाह(पाप) समझना। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा घर्म है ।

Thursday 15 September 2016

नियोग औरतो पर अत्याचार और उनकी इज्जत की लूट बलत्कार

क्या वेदकाल से ही नपुसकँ है आर्य राजा ~
आर्यो ब्रहाचार्य का भडाँफोड ~
नियोग या सिर्फ भोग ~
अगर हम धार्मिक ग्रथोँ का अध्ययन करते है तो वेदकाल से
ही आर्य राजा नपुसँक दिखते है और ब्रहाचार्य का
चोला पहने ऋषी भोगी दिखते है ।
ब्रहाचार्य तो सिर्फ एक चौला था
लेकिन ब्रहाचार्य का पालन किसी ने भी
नहीँ किया कोई किसी राजा कि पत्नि के साथ
नियोग कर रहा है । कोई किसी के साथ ।
और वहीँ आर्य राजाओ को देखा जाए तो वो बेचारे
नपुसकँ दिखते धार्मिक ग्रथोँ मे
राजा दशरत 4 पत्नि पुत्र चारो नियोग से । राजा
जनक सिता जी उनकी पुत्रि
नहीँ थी बल्कि खेत मे मिली
थी जिसका जिकर स्वामी जी ने
अपने अमर ग्रथँ सत्यार्थ मे किया है ।
महाभारत कि बात करे तो एक भी विवाह से सतानँ
उत्तपन नहीँ हुई जहाँ पाडवोँ कि बात है वो कुतिँ
कुवारी थी तभी नियोग कर लिया
था ।
ध्रतराष्ट वो भी नियोग से हुए । उनकी
शादी हुई गाधारीँ के साथ पर पुत्र
नहीँ हुए तभ एक से नियोग किया फिर आगे लिखा है
वो 2 वर्ष
तक गर्भवती रही फिर 100 पुत्रोँ का
जन्म एक ही बार की
डिलीवरी मेँ ।
आगे भिष्म
जिन्हे बडा बहुत बडा ब्रहाचारी कहा जाता है वो
भी नियोगी थे । ब्रहाचार्य का पालन
किसी ने नहीँ किया ।
ब्रहाचार्य आर्यो का चोला था जैसे हाथी के दातँ खाने के
और दिखाने
के और होते है ।
आज आपको ऐसे आर्य मिल जाएगेँ जो नियोग को आपात कालिन
स्थिती का उपाय बताते है । की नियोग तो
पती के मर जाने पर है ।
आर्यो के दावोँ का भडाफोँड उनके ही स्वामी
जी के अगर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश से
सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास 4 पृष्ट 102 पर यह भी
लिखा है कि जिस स्त्री का पति जीवित है
वह दूर देश में रोजगार के लिए गया हो तो उसकी
स्त्री तीन वर्ष तक बाट (प्रतिक्षा)
देखकर किसी अन्य पुरूष से नियोग
( कुकर्म ) कर के सतानँ कर ले, जब पति घर आये तो नियोग किए
पति को त्याग दे तथा उस गैर संतान का गोत्र भी विवाहित
पति वाला ही
माना जाएगा।
समिक्षा ~ यहाँ साफ बताया गया है कि अगर किसी
औरत का पत्ति जिवित है और अगर वो बाहर गया है रोजगार के
लिए तो पत्नि को चाहिए कि किसी गैर मर्द से नियोग
(कुकरम ,
बिना विवाह के शारिरिक सबधँ अर्थात जिना गुनाह ) कर ले
इतने गटीया तो अग्रेजोँ के भी नियम
नहीँ जितने आर्यो के है ।
(4). जिस पुरूष की पत्नी अप्रिय बोलने
वाली हो तो उस पुरूष को चाहिए कि किसी
अन्य स्त्री से नियोग कर ले तथा रहे
अपनी पत्नी के
साथ ही।
समिक्षा ~ अगर किसी कि पत्नी अप्रिय
बोले तो उसे छोडकर किसी दुसरी से नियोग
( कुकरम ) कर ले और रहे उसके साथ ।
कुछ जाहिल नयुज चैनल वाले तलाक " का मजाक उडाते है और
इस्लाम को बदनाम करते है । देख लो जाहिलोँ
अगर इस्लाम का कानुन तलाक " ना होता तो ये होता औरतो के साथ
"बताइए भला क्या कोई अप्रिय बोलने कि वजह से हि
किसी दुसरी
औरत के साथ सबधँ क्यु बनाये जब वो उसके साथ रह सकता है
तो फिर उसे उसका हक कयो नहीँ दे सकता क्यो
किसी दुसरी औरत से सबधँ बनाये ।
इसी प्रकार जो पुरूष अत्यन्त दुःखदायक हो तो
उसकी स्त्री भी दूसरे पुरूष से
नियोग से कर
के उसी विवाहित पति के दायभागी संतान कर
लेवे।
समिक्षा ~ हद है जाहिलियत की अगर
किसी का पत्ति दुखदायक है तो उसकी
पत्रनी उसे छोडकर किसी दुसरे पुरुष से
नियोग ( कुकरम) क्यो करे ।
इतना ही नहीँ सत्यार्थ प्रकाश मे
स्वामी जी ने ये तक फरमाया है
की अगर कीसी कि
पत्नी गर्भवती हो और पति से ना रहा
जाए तो किसी दुसरी औरत से नियोग कर ले
"
स्वामी जी ने आर्यो औरतो को 11 मर्दो
और मर्दो को 11 औरतोँ तक नियोग (कुकरम) करने
कि छुट दी है ।
समिक्षा ~ इन बातो के बाद नियोग के
आपातकालिन होने का तो सवाल ही नहीँ
उठता और दुसरी तरफ ब्रहाचार्य के दावे का
भी भडाँफोड हो जाता है । कयोकिँ अगर
पतनी के गभवर्ती होने तक
ही अगर ब्रहाचार्य का पालन नहीँ किया
जाए तो कैसा ब्रहाचार्य ।
ये ब्रहाचार्य सिर्फ दिखावा है जैसे हाथी के दातँ खाने
के और दिखाने के और होते है ।
अब आर्यो के ही धार्मिक ग्रथोँ से नियोग (कुकरम ,
बिना विवाह शारिरिक सबधँ ,
गुनाह ) के प्रमाण देखीये ~
रामायण/ महाभारत/स्मृति में नियोग के प्रमाण
व्यासजी का काशिराज की पुत्री
अम्बालिका से नियोग- महाभारत आदि पर्व अ 106/6
वन में बारिचर ने युधिस्टर से कहा- में
तेरा धर्म नामक पिता- उत्पन्न करने वाला जनक हूँ- महाभारत वन
पर्व 314/6
उस राजा बलि ने पुन: ऋषि को प्रसन्न किया और अपनी
भार्या सुदेष्णा को उसके पास फिर भेजा- महाभारत आदि पर्व अ
104 कोई गुणवान ब्राह्मण धन देकर बुलाया जाये जो
विचित्र वीर्य की स्त्रियों में संतान उत्पन्न
करे- महाभारत आदि पर्व 104/2
उत्तम देवर से आपातकाल में पुरुष पुत्र की इच्छा
करते हैं-
महाभारत आदि पर्व 120/26
परशुराम द्वारा लोक के क्षत्रिय रहित होने पर वेदज्ञ ब्राह्मणों
ने क्षत्रानियों में संतान उत्पन्न की- महाभारत आदि
पर्व 103/10
पांडु कुंती से- हे कल्याणी अब तू
किसी बड़े ब्राह्मण से संतान उत्पन्न करने का
प्रयत्न कर- महाभारत
आदि पर्व 120/28
सूर्ष ने कुंती से कहा- तू
मुझसे भय छोड़कर प्रसंग कर- महाभारत आदि
पर्व 111/13
किसी कुलीन ब्राह्मण को
बुलाकर पत्नी का नियोग करा दो, इनमे कोई
दोष नहीं हैं-
सूर्य ने कुंती से कहा-भय मत करो संग करो-
महाभारत अ। पर्व 111/13
वह तू केसरी का पुत्र क्षेत्रज नियोग से उत्पन्न बड़ा
पराकर्मी – वाल्मीकि रामायण किष कांड
66/28
मरुत ने अंजना से नियोग कर हनुमान को उत्पन्न किया –
वाल्मीकि रामायण किष कांड 66/15
जिसका पति मर गया हैं-वह 6 महीने बाद पिता व भाई
नियोग करा दे- वशिष्ट स्मृति 17/486
किन्ही का मत हैं की देवर को छोड़कर
अन्य से नियोग न करे- गौतम स्मृति 18
जिसका पति विदेश गया हो तो वह नियोग कर ले- नारद स्मृति श्लोक
98/99/100
देवर विधवा से नियोग करे- मनु स्मृति 9/62
आपातकाल में नियोग भी गौण हैं- मनु 9/58
नियोग संतान के लोभ के लिए ही किया जाना चाहिए-
ब्राह्मण सर्वस्व पृष्ट 233 यदि राजा वृद्ध
हो गया या बीमार रहता हो तो अपने मातृकुल तथा
किसी अन्य गुणवान सामंत से अपनी भार्या
में नियोग द्वारा पुत्र उत्पन्न करा ले- कौटिलीय शास्त्र
1/17/52
जब कई भाई संग रहते हो और उनमें से एक निपुत्र मर जाये तो
उसकी स्त्री का ब्याह पर
गोत्री से न किया जाये-उसके पति का भाई उसके पास
जाकर उसे अपनी स्त्री कर ले –
व्यवस्था विवरण 25/5-10
यदि देवर नियोग से इंकार करे तो भावज उसके मुह पर थूके और
जूते उसके पाव से उतारे- व्यवस्था 25/2
आर्य राजा नपुसकँ थे और ब्रहाचार्य कहलाने वाले भोगी थे ।