Saturday, 1 August 2015
इस्लामिक शरीयत में औरत के बलत्कार होने पर 4 गवाह पेश करना क्या सही हे ....?
बहुत वक्त से मैं इण्टरनेट पर शरिया कानून के
खिलाफ लोगों को बेसिर पैर की अफवाहें उड़ाते
देखता आ रहा हूँ कि इस्लामी कानून मे अगर
किसी औरत के साथ बलात्कार हो जाए, तो
दोषी को सजा दिलवाने के लिए उस पीड़िता को
अपने पर हुए बलात्कार के चार चश्मदीद गवाह
अदालत मे पेश करने पड़ेंगे, तभी मुजरिम को सजा
होगी, और यदि पीड़िता चार गवाह न ला सकी
उस औरत को ही शरिया कानून व्यभिचारिणी
मानकर सजा देगा .......
क्या मूर्ख आक्षेप है ....??? यदि ऐसा कानून
हो, तो फिर तो मुस्लिम मुल्क मे कभी किसी
बलात्कारी को सजा ही न हो ..... क्योंकि
बलात्कार कभी चार आदमियों, और वो भी
विपक्षी आदमियों के सामने कोई नही करता
है ! फिर तो कोई औरत कभी अपने ऊपर हुए
ज़ुल्म के बारे मे बोलने की हिम्मत ही न करेगी,
और सारे बलात्कारी मुस्लिम देशों मे खुले घूमते
रहेंगे .... लेकिन ऐसा नही है, सब जानते हैं, कि
मुस्लिम देशों मे बलात्कार करने वालों को बराबर
सजा मिलती है, और वो भी बहुत सख्त सजा ॥
अस्ल मे चार गवाह वाला मसला बलात्कार नही
बल्कि व्यभिचार (आपसी सहमति से अवैध
शारीरिक सम्बन्ध बनाना ) का है ,
जैसा कि आप जानते हैं, कि इस्लाम मे व्यभिचार
करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है,
इस कानून का दुरुपयोग गलत किस्म के लोग
अपनी ज़ाती दुश्मनी निकालने के लिए कर सकते
थे, और किसी भी भले घर के स्त्री और पुरुष
पर व्यभिचार का झूठा आरोप लगाकर किसी को
भी ज़लील करवा सकते थे, और किसी भी
खानदान की इज्जत उछाल सकते थे ...... इसी
खतरे को पूरी तरह से मिटाने के लिए पवित्र
कुरान की ये आयत अवतरित हुई
"वो लोग जो पाक दामन और शरीफ औरतों पर
इल्ज़ाम लगाएं, फिर चार गवाह न ला सकें ,तो
फिर इन लोगों को ही अस्सी कोड़े मारो और
कभी इनकी गवाही न मानो"
[पवित्र कुरान, 24:4]
तो जाहिर है चार गवाह उस आदमी को लाने
पड़ेंगे जो किसी शरीफ स्त्री पर व्यभिचार का
आरोप लगाएगा, फिर ये सुनिश्चित किया
जाएगा कि वो गवाह सच्चे हैं या नहीं, उन चारों
से अलग अलग बारीकी से सवाल जवाब किए
जाएंगे ...और यदि उनके बयान अलग अलग पाए
गए, और झूठ पकड़ा गया, तो फिर आरोप लगाने
वाले व्यक्ति को उसके इस षणयन्त्र की सजा
दी जाएगी .... इस सख्त कानून के कारण कोई
भी किसी पर व्यभिचार का झूठा आरोप लगाने
से डरता है ॥
और रहा बलात्कार की शिकार हुई औरत का
सवाल, तो बलात्कार के केस मे पीड़िता को
कोर्ट मे अपने पक्ष मे एक भी गवाह पेश करने
की कोई जरूरत नहीं है ... बल्कि इस मुकदमे मे
पीड़िता के बयान , दोषी आदमी के बयान , और
इन दोनों के चाल चलन के बारे मे इन को जानने
वाले सच्चे लोगो के बयान लेती थी, और पूरी
होशियारी से इन्साफ दिलाती थी
आज के दौर मे बलात्कार को साबित करने के
लिए DNA टेस्ट काफी है .... बलात्कार के केस
मे इस्लामी कोर्ट ने न कभी पहले चार गवाह
मांगे, न कभी मांगेगी
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