Saturday, 1 August 2015

पवित्र कुरान में औरतो की तुलना खेती से क्यों ....?

बहुत से भाई पवित्र कुरान मे एक स्थान [2:223] पर औरत को मर्द की खेती कहे जाने पर आपत्ति उठाते हैं.... 
हालांकि मुझे इन भाईयों की आपत्ति का कोई संतोषजनक कारण समझ नही आता ... क्योंकि खेती शब्द मे किसी प्रकार से किसी का अपमान होता हो, ऐसा कहीं से प्रतीत नहीं होता ....!! 
ये बात आपत्ति करने की नहीं बल्कि आश्चर्य करने की है कि चौदह सौ वर्ष पूर्व जब मनुष्य जीव प्रजनन और पादप जनन (खेती ) मे कोई समानता नहीं देख पाया था, तब कुरान मे अल्लाह ने ये बता दिया कि मानव जन्म की प्रक्रिया ठीक धरती से पौधा उगने के समान है .... 
आज विज्ञान भी इसी बात को मानता है कि जिस प्रकार मां की कोख से बच्चा पोषण खींच कर बनता और जन्मता है ठीक उसी प्रकार और उन्हीं पौष्टिक तत्वों को जमीन की कोख से खींच कर एक बीज से पौधा भी बनता व जन्म लेता है ॥ 
और इसीलिए मां बनने की इस अद्भुत क्षमता के कारण कुरान मे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से औरत को खेती भी कहा गया है, और मां बनने की इसी क्षमता के कारण इस्लाम मे औरत का सबसे अधिक सम्मान भी किया गया है .... सो भाईयों जिस बात को किसी अज्ञात कारण से आप स्त्री का अपमान बता रहे हो, वो तो स्त्री के लिए बहुत सम्मान की बात है और खेती शब्द मे कौन सा अपमान है, जरा आप ये तो सोचकर बताईए ?? 
खेती को तो दुनिया के हर हिस्से मे एक सम्माननीय कार्य माना जाता है कहीं भी खेती के कार्य को बुरी नजर से नहीं देखा जाता .... 
हमारे देश ही मे धरती को देवी के ऊंचे पद पर बैठाने का सम्मान क्या केवल इसीलिए नहीं दिया गया कि वो हमारे लिए अन्न उपजाती है ...?? 
बताईए आपके ही धर्म ने खेती को इतना सम्मान दिया की इस कारण धरती की और अन्न की पूजा भी होने लगी और आप को खेती शब्द मे अपमान नजर आता है ...?? 

तो भाई उसी खेती का दिया खाकर आप जीते हैं और उसी खेती को अपमान की बात समझते हैं, सोचिए तो क्यों ...???

2 comments:

  1. डिफेंड तो सही से करिये। आप भी खेती कहने का आशय समझ रहे होंगे अगर आपने कुरान पूरा पढ़ा होगा

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