Saturday, 1 August 2015

क्या इस्लाम ने स्त्री को कुत्ते और गधे जैसा बताकर स्त्रियों का अपमान किया ह....?

अबु दाऊद शरीफ़ मे एक हदीस है कि यदि कोई कुत्ता, गधा, सुअर, एक यहूदी, जादूगर या कोई स्त्री किसी बिना किसी खुले स्थान पर नमाज पढ़ते व्यक्ति के करीब से सामने से गुजर जाएं तो नमाज खराब हो जाती है, ( मुस्लिम शरीफ़ के अनुसार नमाज़ मे खलल पड़ जाता है ।) इस हदीस को आधार बनाकर कुछ लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि इस्लाम ने स्त्री को कुत्ते और गधे जैसा बताकर स्त्रियों का अपमान किया है ॥ इस आरोप का सबसे अच्छा जवाब बुखारी शरीफ़ की किताब-9, हदीस-493 मे है कि अम्मी आइशा रज़ि. ने जब नबी सल्ल. के समक्ष इस बात पर एतराज़ जताया कि "आप सल्ल. हमारी (स्त्रियों की) तुलना कुत्ते और गधे से कर रहे हैं ??" तो (इस घटना के उपरांत) अम्मी आइशा रज़ी. ने देखा कि नबी सल्ल. अम्मी आइशा के अपने सामने लेटी होने के बावजूद नमाज पढ़ रहे थे ...." ऐसे नमाज पढ़कर नबी सल्ल. ने ये जाहिर कर दिया कि आप सल्ल. ने स्त्रियों को कुत्ते या गधे जैसा नहीं माना था, और यदि नमाजी के आगे जाने की मनाही को किसी भली स्त्री ने अपना अपमान समझा हो, तो प्यारे नबी सल्ल. ने स्त्रियों को अपमानित नही किया है । वास्तव मे इस हदीस का मंतव्य ये है कि नमाज को पूरी एकाग्रता के साथ पढ़ा जाना चाहिए, लेकिन यदि कुत्ते, गधे या सूअर जैसा कोई जानवर जो किसी व्यक्ति को अपने पास पाकर आक्रामक हो सकता है , या शत्रु पक्ष का कोई व्यक्ति किसी नमाज पढ़ते हुए व्यक्ति के सामने आ जाए तो निस्संदेह नमाज़ी का ध्यान ये सोचकर नमाज़ से हट जाएगा कि कहीं वो जानवर या शत्रु , नमाज़ी को कोई नुकसान न पहुंचा दें, ....इसके विपरीत यदि कोई स्त्री नमाज पढ़ते व्यक्ति के सामने आ जाएगी तो उस स्त्री का रूप सौन्दर्य या शोख परिधान देखकर नमाज़ी का ध्यान नमाज़ से भटक सकता है , और नमाज मे खलल और खराबी आ सकती है. जैसा कि इस विषय की हदीस की व्याख्या करते हुए एक बड़े इस्लामी विद्वान इमाम नानवी ने लिखा है कि:- "यहाँ नमाज मे खलल पड़ने का अर्थ, व्यक्ति का ध्यान इन चीजों की तरफ भटक जाने से नमाज़ से एकाग्रता हट जाना है ." (शरह अल- नानवी 2/266). अब सोच के देखिए कि क्या इस हदीस मे किसी तरह के जानवर से स्त्री की तुलना की जा रही है ...?? .. हरगिज़ नहीं, क्योंकि जानवरों को देखकर नमाज़ी का ध्यान एक अलग कारण से भटकेगा और इसके विपरीत स्त्री को सामने देखकर बिल्कुल ही अलग कारण से .... न ही इस हदीस मे किसी भी तरह किसी स्त्री का अपमान किया गया है , बल्कि यहां तो स्त्री के सौन्दर्य के कारण नमाज़ी का ध्यान भटकने की आशंका व्यक्त की गई है, ये तो स्त्री जाति के सौन्दर्य की प्रशंसा ही है, उसका अपमान नहीं ॥ —

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