Monday, 20 July 2015

इस्लाम की दावत किस पर फ़र्ज़ ..?

आज हमारे मुसलीम भाई अकसर यह बात उलेमा पर डाल देते है की दावत देना तबलीग करना उनका काम है ! नही बल्की यह सबका काम है! हर मुलीम अपने पडौसी को या जिससे उसकी मुलाकात हो उसे दावत जरुर दे ..
-*-*-*-*-*-*-*-*+*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-नही अलल मुनकर और आज का मुस्लिम
जागो मुसलमानो क्या तूम उस.अल्लाह के लिये यह भी नही कर सकते की उपने करीबी दोस्तो को एक अल्लाह की दावत दो जबकी दुनिया के लिये हजार मुश्कीले उठाते हो..याद रखो फुसलाया उसे जाता है जो नादान हो उसे नही जो बाखबर हो फिर अल्लाह को बेवकुफ बनाने की इच्छा क्यो रखते हो ..अपने दोस्तो मे दो दावत ..दावत ..हराम से बचने की दावत नेक अख्लाक की और खुद नेक अख्लाक बनो....
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क्या मुश्कील है दावत का काम....
नही अगर बेदारी से करो १- तालिब बन जाना उनसे लो जानकारी उनके धर्म की जैसे तुमको उनके धर्म की जानकारी हो जिस बारे मे सवाल करो पहले जानकारी लो उस बारे मे
सवाल तालिब बन कर पुछो जैसे नर्मी से सहमति से पुछा जाता है..
छोटे मगर ठेस न पहुँचाने वाले सवाल करो जब वह आपके ईसलाम पर सवाल करे प्यार से डाउट क्लियर करो..
धिरे धिरे ईसलामी तालिम और वर्तमान मे उसकी अहमीयत और कुरान व विज्ञान की जानकारी दो ..
और साथ ही अख्लाके रसुल की जानकारी दो..
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याद रहे खुद इस्लाम की सही जानकारी के सोर्स से जुडो और उसी से उसे जुडने की सलाह दो .....
इंशाल्लाह भाग दो मे मजीद वजाहत करेंगे..

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