Monday, 20 July 2015

कुफ्र की पहचान संक्षिप्त मे

इस्लाम
इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयाइयों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। यानी दनियावी रूप से और धार्मिक रूप से इस्लाम (और मुस्लिम कृरए के अनुसार पिछले धर्मों अनुकूलन) शुरू, ६१० ए से ६३२ ई। तक २३ वर्ष शामिल समय में मोहम्मद पर अल्लाह की ओर से उतरने वाले इल्हाम (कुरआन) से होता है। कुरान अरबी भाषा में रची गई (गोपनीयता कारण: आललसान कुरआन) और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के २४% हिस्से, यानी लगभग १.६ से १.८ अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग २० से ३० करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। कई निजी स्रोतों से मौजूदा स्वरूप में आने वाली अन्य ईश्वरीय पुस्तकों के विपरीत, बोसीलहٔ रहस्योद्घाटन, व्यक्ति अकेला (मुहम्मद) के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत करार दिये जाते हैं।

इस्लामी मत

इस्लामी धर्म के प्रमुख मत यह हैं:

ईश्वर की एकता
मुसलमान एक ही ईश्वर को मानते हैं, जिसे वे अल्लाह (फ़ारसी: ख़ुदा) कहते हैं। एकेश्वरवाद को अरबी में तौहीद कहते हैं, जो शब्द वाहिद से आता है जिसका अर्थ है एक। इस्लाम में ईश्वर को मानव की समझ से परे माना जाता है। मुसलमानों से इश्वर की कल्पना करने के बजाय उसकी प्रार्थना और जय-जयकार करने को कहा गया है। मुसलमानों के अनुसार ईश्वर अद्वितीय है - उसके जैसा और कोई नहीं। इस्लाम में ईश्वर की एक विलक्षण अवधारणा पर बल दिया गया है और यह भी माना जाता कि उसका सम्पूर्ण विवरण करना मनुष्य से परे है। कहो: ईश्वर एक और अनुपम। ईश्वर सनातन, सदा से सदा तक जीने वाला है।
न उसे किसी ने जना और न ही वो किसी का जनक है।br /> एवं उस जैसा कोई और नहीं है।”
(कुरआन, सूरत ११२, आयते १ - ४)}}

नबी (दूत) और रसूल
इस्लाम के अनुसार ईश्वर ने धरती पर मनुष्य के मार्गदर्शन के लिये समय समय पर किसी व्यक्ति को अपना दूत बनाया। यह दूत भी मनुष्य जाति में से होते थे और ईश्वर की ओर लोगों को बुलाते थे। ईश्वर इन दूतों से विभिन्न रूपों से समपर्क रखता था। इन को इस्लाम में नबी कहते हैं। जिन नबियों को ईश्वर ने स्वयं, शास्त्र या धर्म पुस्तकें प्रदान कीं उन्हें रसूल कहते हैं। मुहम्मद भी इसी कड़ी का भाग थे। उनको जो धार्मिक पुस्तक प्रदान की गयी उसका नाम कुरान है। कुरान में अल्लाह के २५ अन्य नबियों का वर्णन है। स्वयं कुरान के अनुसार ईश्वर ने इन नबियों के अलावा धरती पर और भी कई नबी भेजे हैं जिनका वर्णन कुरान में नहीं है। लगभग सन्सार मे १२४००० नबी (दूत) वर्णन कुरान मे है।

सभी मुसलमान ईश्वर द्वारा भेजे गये सभी नबियों की वैधता स्वीकार करते हैं और मुसलमान, मुहम्मद को ईशवर का अन्तिम नबी मानते हैं। अहमदिय्या समुदाय मुहम्मद को अन्तिम नबी नहीं मानता तथापि स्वयं को इस्लाम का अनुयायी कहता है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकारा भी जाता है हालांकि कई इस्लामी राष्ट्रों में उसे मुस्लिम मानना प्रतिबंधित है। भारत के उच्चतम न्यायालय के अनुसार उनको भारत में मुसलमान माना जाता है।[1] ref>On Finality of Prophethood – Opinions of Islamic

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