Sunday, 19 July 2015
भारत में सभी धर्मो का एक - सच ..?
भारत देश में इस्लाम, क्रिश्चियनिटी, सिख,
बुद्धिज़्म, ये प्रमुख धर्म है। इनकी प्राथमिक
शिक्षा है समानता, भाईचारा, गरीबों की मदद।
इन धर्मों के साथ वैदिक धर्म की तुलना की
जाए तो वैदिक धर्म जाती व्यवस्था के ऊपर
मुख्य रूप से आधारित है। अगर आप जाति
व्यवस्था वैदिक धर्म से निकाल दोगे तो वैदिक
धर्म जिसको की ब्राह्मणों ने अपने स्वार्थ के
लिए हिन्दू धर्म का नाम दिया है, वह एक पत्ते
के बंगले की तरह गिर जायेगा। उंच नीच,
जातिवाद, ये वैदिक धर्म का आधार है, जिससे
मूलनिवासियों का का नुक्सान ही हुआ है। इस
जातिवाद, उंच नीच, अपमान और अन्याकारक
हिन्दू धर्म से छुटकारा पाने के लिए हमारे
मूलनिवासी भाइयों ने ये सनातन/वैदिक धर्म
त्यागकर इस्लाम, इसाई, सिख और बुद्धिस्ट
बने। लेकिन ब्राह्मणवाद के जातिवाद का जहर
इनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं। भारत देश में
ये सभी धर्म ब्राह्मणवाद नाम के जहरीले
कोबरा की लिपट में आ गए। ब्राह्मणवाद इन
धर्मों में भी घुस गया है। एक के बाद एक हम
इसका संक्षिप्त में विश्लेषण करते है। अगर
जातिवाद, उंच नीच का जहर इन धर्मों में को
मानने वालों में नहीं घुसता तो ब्राह्मणवाद कब
का ख़त्म होता।
1. सिखिस्म:-किसी भी सिख गुरु ने जाति
व्यवस्था मानने को
नहीं
कहा। फिर आज हमारे सिख भाई क्यों जाति में
बंटे हुए है? क्यों नहीं, सभी सिखों को सिर्फ
सिख नहीं कहा जाता? जाट सिख, रामगढ़िया
सिख, कलसी सिख, मान सिख, संधू सिख, सैनी
सिख, खत्री सिख, मजहबी सिख, चमार सिख ये
सब क्या है? क्या सिख धर्म के गुरुओं ने ये
सब मानने को कहा? क्या गुरु ग्रंथ साहब में ये
सब लिखा है? इसका उत्तर है नहीं। फिर भी
उंच नीच बना कर, ये सब मानकर हमारे सिख
भाई ब्राह्मणवाद को क्यों बढ़ावा दे रहे है?
क्या ये सिख धर्म के मूल सिद्धांत के विपरीत
नहीं है?
2. इस्लाम: इस्लाम का भी मूलभूत सिद्धांत
समानता है, कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा नहीं, सब
का अल्लाह एक, फिर भी मुस्लिम भारत देश में
अशरफ (ऊँची जात का) , अजलफ़ (नीची जात
का) , अरजल (अछूत जिन्हों ने इस्लाम कबूला),
मुस्लिम राजपूत, मेहतर, कसबी, हलालखोर ये
सब क्या है? क्या पाक कुरान में इसका जिक्र
है? क्या मोहम्मद साहब (अल्लाह उनको शांति
दे) ने ये सब माने को कहा? इसका उत्तर है
नहीं। इसके सिवा शिया और सुन्नी के जो दो गुट
है क्या ये इस्लाम के मूलभूत सिद्धांत के
विपरीत नहीं है?
3. क्रिश्चियनिटी: ब्राह्मणवाद के जहर से
ईसा मसीह का धर्म भी बच नहीं पाया। इसमें
भी उंच नीच, जातिवाद का जहर बहुत है
खासकर दक्षिण भारत में। दक्षिण भारत में
केरल, तमिलनाडू, कर्णाटक, आंध्र प्रदेश और
गोवा जैसे राज्यों में सीरियन क्रिस्चियन (ऊँची
जाती के), एझवा क्रिस्चियन (नीची जात के),
लैटिन क्रिस्चियन (अछूत धर्मान्तरित), य़ेसुइत
क्रिस्चियन, खम्मा क्रिस्चियन, रेड्डी
क्रिस्चियन और ना जाने कितनी जातियां है
उनको ही पता है। अछूत/अनुसूचित जाती
क्रिस्चियन जो है वो सबसे अधिक भेद भाव का
शिकार है। उनकी दफ़न भूमि और प्रेयर चर्च
अलग अलग होता है।
4. बुद्धिज़्म: बुद्धिज़्म ब्राह्मणवाद का शिकार
शुरू से ही हुआ है। जैसे जैसे भगवान् बुद्धा का
धम्म भारत की जनता में लोकप्रिय होने लगा,
वैसे वैसे ब्राह्मण धर्म/वैदिक धर्म/सनातन
धर्म घटता गया और ब्राह्मण लोग बुद्धा धम्म
से जलने लगे। बुद्ध धम्म को ख़त्म करने के लिए
बहुत सारे ब्राह्मण भिक्षु बन गए, उन्होंने
बुद्धा धरम को कर्मकांड मानने वाला धरम
बनाया जो की बुद्धा के तत्वों के विपरीत है।
आप लोग देखेंगे की ज्यादातर बौध भिक्षु
शुरुवात में ब्राह्मण ही थे, जिन्होंने पुष्यमित्र
सुंग का साथ देते हुए अपने साथी बुद्ध भिक्षुओं
का कत्ल करवाया। महायान, तिब्बतन बुद्धिज़्म,
वज्रयान बुद्धिज़्म, निचेरियन बुद्धिज़्म, ये
बुद्धिज़्म के शासन के खिलाफ है। ब्राह्मण जो
की बौध भिक्षु बन गए उन्होंने भगवान् बुद्धा
को विष्णु का अवतार बनाया और उनकी
कर्मकांड के द्वारा पूजा अर्चना शुरू की, जो की
बुद्धाशासन के खिलाफ है।
अगर सभी मुस्लमान, सभी सिख, सभी
क्रिस्चियन और बुद्धिस्ट भाइयों ने अपने अपने
ग्रंथों के मुताबिक व्यवहार किया होता तो आज
भारत देश पर 3% लोग कभी भी राज न करते।
अब कोई भी मुस्लिम, सिख, क्रिस्चियन भाई/
बहन ये मत कहे की ये सब झूठ है और इन सब
बातों को वो नहीं मानते। सच्चाई ये है की ऊपर
लिखी हुयी सभी बाते प्रमाणित है।
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