Sunday 19 July 2015

Big GanG theory(पर गलत नही बेवकुफ बनाते है आर्य )

आप जानते ही होंगे आर्य समाजि बिगबैंग को गलत कहकर ये कहते है की कायनात ब्रहमाण्ड प्रक्रति कणो से बना है प्रक्रति कण क्या है ! आर्य समाज के दयानन्द सरस्वती की किताब सत्यार्थ प्रकाश के आठवे समुलास मे कहा गया रज: तम: यानी मध्य और जडता निच से जो कण बना वह प्रक्रति है! अब कुरान मे सुरह अम्बिया आयत तीस ३० मे कहा गया क्या इंकारियो को इतना भी नही सुझा कि जमीन और आसमान बंध यानी एक जान थे फिर हमने इंको जुदा कर दिया और पानी से हमने हर चीज को जिन्दगी दी क्या फिर ये लोग ईमान कबुल नही करते यहाँ चरम ताप गोले की तरफ ईशारा है..अब इसलाम ये नही कहता की कायनात मे प्रदार्थ प्रमाणु से नही बने बलकी यहाँ कायनात के विस्तार से पहले की दशा का जिक्र है जबकी हिग्स बॉसान भी प्रोटॉन से चरम ताप पर बनता है मतलब कायनात की शुरुआत कणो से नही बिग बैंग से हुई जिनेवा (स्विट्जरलैंड)। वैज्ञानिकों ने बुधवार को परमाणु के भीतर नया कण खोजने का दावा किया है। यह उस ‘हिग्स बोसॉन’ यानी गॉड पार्टिकल से मिलता-जुलता है जिससे माना जाता है कि ब्रह्मांड अस्तित्व में आया। सर्न के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के इस रहस्य को सुलझाने के लिए 2008 से प्रयोग कर रहे थे।

बुधवार को उन्होंने इसके नतीजे का ऐलान कर दिया। वैज्ञानिकों की टीम के प्रवक्ता जोए इनकाडेला ने कहा कि ‘हम हिग्स बोसॉन के करीब पहुंच गए हैं। हालांकि नया कण हिग्स बोसॉन ही है, यह कहने में वक्त लगेगा।’ लेकिन प्रयोग के दौरान जो कण मिले, वे उस जैसे ही हैं।

प्रयोग में हमारा योगदान

1. इस खोज में भारत के 100 से अधिक वैज्ञानिक कई स्तरों पर शामिल रहे।

2. भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अर्चना शर्मा महाप्रयोग में शुरू से ही शामिल रहीं।

3. एफिल टावर से ज्यादा भारी 8,000 टन के चुंबक के हिस्से भारत में बने।

बोस ने दिया बोसॉन

भारतीय भौतिकविद सत्येंद्रनाथ बोस ने 1924 में बताया कि परमाणु में मौजूद कण प्रोटॉन एक जैसे नहीं होते। उनसे निकलने वाली ऊर्जा अलग-अलग होती है। इसी आधार पर बोस-आइंस्टीन फामरूला सामने आया। सब-एटॉमिक पार्टिकल को बोसॉन कहा गया।

क्या है गॉड पार्टिकल यानी हिग्स बोसॉन?

1. ब्रह्मांड में सभी कण बिखरे हुए थे। प्रकाश की गति से यहां-वहां घूम रहे थे। जैसे पार्टी में मेहमान बिखरे रहते हैं। लेकिन सेलिब्रिटी के आते ही वे उसे घेर लेते हैं।

2. 14 अरब साल पहले बिग बैंग के समय सामने आए हिग्स बोसॉन ने सेलिब्रिटी की तरह कणों को जोड़ा। उन्हें द्रव्यमान दिया। जिससे परमाणु, अणु आदि बने।

इसलिए जरूरी था प्रयोग...

1. ब्रह्मांड की हर चीज में गुरुत्व बल और द्रव्यमान (मास) से भार होता है। द्रव्यमान पैदा करने वाला कण हिग्स बोसॉन है। अब तक स्टैंडर्ड फिजिक्स के 11 कण ढूंढ़े जा चुके हैं। लेकिन हिग्स बोसॉन तक नहीं पहुंच पाए थे।

2. यदि हिग्स बोसॉन तक नहीं पहुंच पाते तो स्टैंडर्ड फिजिक्स के सिद्धांत झूठे साबित होते। अब तक की धारणाएं झुठला दी जाती और ब्रह्मांड की उत्पत्ति के अलावा पदार्थो के बनने के नए सिद्धांत भी तलाशने पड़ते।

तो कैसे तलाशा गया इसे?

1. जिनेवा में सर्न की जमीन से 175 मीटर नीचे बनी प्रयोगशाला में 27 किलोमीटर लंबी सुरंग में प्रोटॉन बीम्स की टक्कर कराई गई।

2. एक सेकंड में प्रोटॉन बीम्स ने सुरंग के 11 हजार चक्कर लगाए। इससे सूरज के केंद्र के तापमान से भी लाखों गुना ज्यादा तापमान पैदा हुआ।

3. तापमान बढ़ने से प्रोटॉन टूटा। ‘हिग्स बोसॉन’ जैसे कण बने। इसका द्रव्यमान तुलनात्मक रूप से प्रोटॉन से 120 से 130 गुना ज्यादा पाया गया। दोनों टीमों (एटलस और सीएमएस) ने इस कण की पुष्टि की है।

अब ये सवाल सुलझेंगे

1. 14 अरब साल पहले ब्रह्मांड कैसे बना?

2. धरती कैसे अस्तित्व में आई?

3. इंसान और छोटी से छोटी चीजें कैसे जन्मी?

4. आकाशगंगा, तारे और ग्रह कैसे बने?

5. वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड की पांच फीसदी जानकारी है। शेष हिस्सा डार्क मैटर कहा जाता है। इसके रहस्य से अब पर्दा उठेगा।

लेकिन इनके जवाब बाकी हैं?

1. वैज्ञानिक तय नहीं कर पा रहे हैं कि नए कण को हिग्स बोसॉन ही कहा जाए या नहीं।

2. हो सकता है कि यह कण हिग्स का ही एक रूप हो या फिर एक नया ही कण हो।

3. अगर इसे नया कण माना गया तो हर चीज के बुनियादी ढांचे को लेकर बनाए गए वैज्ञानिक सिद्धांत गड़बड़ा सकते हैं।

हमें क्या फायदा?

बता रहे हैं सर्न प्रयोगशाला स्थित सीएमएस के वैज्ञानिक प्रो. विवेक आनंद शर्मा

जो निष्कर्ष मिलेंगे, उससे चिकित्सा और संचार तकनीकी में और विकास ला सकते हैं, जिसका अगले कुछ दशकों से आम आदमी फायदा उठा सकता है। यह एकदम वैसा ही है जैसे 100 साल पहले इलेक्ट्रॉन की खोज हुई। फिर बिजली और उसके बाद संचार क्षेत्र में अद्वितीय विकास हुआ। सेल फोन आए, कम्प्यूटर आए, जीपीएस की खोज हुई।

इसे ऐसे समझिए

1. चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोग होने वाले स्कैनिंग इंस्ट्रूमेंट जो कि एटम स्मैशर पद्धति पर काम करते हैं उनका विकास होगा। मानव शरीर में मौजूद बीमारियों की विस्तृत और सूक्ष्मतर जानकारी मिल सकेगी।

2. सर्न की लैब में रोज जितना डाटा एकत्रित होता है उसे सही तरीके से रखने और दोबारा प्राप्त करने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू की खोज हुई थी। जो अब पूरी दुनिया में मुफ्त है। दो दशकों में ही यह पूरी दुनिया में संचार का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। नए प्रयोग से इंटरनेट के क्षेत्र में विकास और तेज होगा।

3. परमाणु ऊर्जा, कंप्यूटर, मेडिसिन, मैन्यूफेक्चरिंग के क्षेत्र में क्रांतिकारी अविष्कारों के लिए दिशा मिलेगी। इलेक्ट्रॉन की ही मदद से आधुनिक विज्ञान के कई अविष्कार हुए। जो टीवी से लेकर सीडी और कैंसर रोगियों के लिए रेडियोथेरेप

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