Thursday 16 July 2015

क़ुरान सूरेह यूनुस की आयत 3 पर ऐतराज का जवाब,कुर्शी अर्श

पहले सही तरजुमा देखे"इन्ना (बेशक) रब्बूकूम(तुम्हारा रब या पालनहार) अल्लाहु(यकता बरहक माबुद)है!अल्लाजी़ (वह जिसने) खलक(पैदा किया)अस्समावाति(औसमानो)वल अर्दी(और जमीन को) फी(में)सित्तती(छ:)अय्यामीन( वैसे सामान्यतया अरेबी मे दिन के लिये यवमीन आता है पर यहाँ दिन से मुराद विशेष समय है)इस्तवाअल्ललअर्शि( यहा शब्द इस्तवा आया है यानी काइम होना..

पर तमाम जबानो का कायदा है! की जब कोई शब्द विशेष हस्ती के लिये स्थिति वगैरह के लिये प्रयोग हो तो उसका उसी अनुसार बदलता है ..

तो यहाँ काइम होना आम लोगो की तरह नही) अर्श या कुर्सि के दो मतलब अरेबी मे लिये जाते है 

१- खास अर्थ संपत्ति या हुकुमत 

२- तख्त...) अब इसकी कल्पना नही की जा सकती है!
ऐसे कुछ मंत्र वेदो मे भी है! जैसे यजुर्वेद अध्याय३१/१सहत्रशिर्षा पुरुष: सहस्त्राक्ष सहस्त्रपात् यानी एक विराट पुरुष जिसके हजारो हाथ पैर आँखे है..यहाँ वेदिक खुदा के लिये ये शब्द प्रयोग हुये है! लेकिन वेदिक विद्वान इसका अर्थ लेते है खुदा सारी कायनात मै फैला है! वैसे दुसरी जगह कुरान मे आठ फरिश्तो के तख्त को उठा के लाने का जिक्र है यहाँ इस आयत मे अर्श न्याय और खुदा की सुल्तानीयत का प्रतिक है..) 

अब ऐसा क्युँ तो जरा आयत के अगले शब्द पर गौर करे..युद्दबिरु (तदबीर करता है)अमवारी (काम की) यानी कायनात के निजाम या बंदोबस्त की इसे और गहराई से समझने के लिये देखे सुरह फुसीलत आयत ८-१३ तक..

मा (नही) मिन( कोई सिफारशी ) इल्लामिमबाअदीही(मगर बाद )इज्निही(इसकी इजाजत के)जा़लिक(वहहै)अल्लाहु(एकमात्र बरहक उपास्य)रब्बुकुम (तुम्हारा रब)पस उसकी बंदगी करो..."


अब इसी सुरह यूनूस आयत ३ का तर्जुमा जो आर्य समाजी पेश करते है वो ये है"अल्लाह तुम्हारा पालनहार है, जिसने पैदा किया आस्मानो को और जमीन को ६ दिनो मे फिर आस्मान पर जाकर अपने सिहासन पर विराजमान हुआ"
अब ये कहना ये चाहते है कि सिहासन तो केवल शरीर धारी का होता है..
तो जनाब ये अकीदा आपका कि परमात्मा निराकार है! तो बताओ किस रुप मे निराकार है!

१- आत्मा रुह है तो जनाब दयानंनद ने सत्यार्थ प्रकाश समुलास आठ मे आत्मा को अनादी बताया तो जब सब जीवआत्मा परमात्मा (खुदा) के साथ ही मौजुद थी तो दोनो के मकाम मे अंतर क्या रहा बाकी उसे परमात्मा क्यों माने ..चलो कहोगे कि उसने लोगो को बनाया..तो सवाल खडा होगा कैसे बनाया? 

कहोगे की अपनी शक्ति से तो कुल मिलाकर वह अपनी शक्ति से परमात्मा (खुदा) है! तो फिर उसे निराकार होने की जरुरत क्यो फैला होने यानी व्यापक या होने की जैसे नमक मे पानी मिला होना तो लोगो मे अपवित्रता क्यो जब परमात्मा उनमे है! 

तो क्या कायनात चलाने को वह फैला है! तो परमात्मा भी निर्भर हो गया चुँकि परमात्मा के हाथ पैर तो है नही तो कैसे बनाता है ! तो साफ है परमात्मा को व्यापक होने की निराकार होने की जरुरत नही..तब यह सवाल ही नीर्थक हो गया...

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