Monday 15 June 2020

क्या भगवा आतंकियों को साम्प्रदायिक नफरत का जिम्मेदार ठहराना उचित है ?

क्या भगवा आतंकियों को साम्प्रदायिक नफरत का जिम्मेदार ठहराना उचित है ?


आपने भारत में पाये जाने वाले कुछ ऐसे नफरती, अत्याचारी और दंगाईयो को देखा होगा जो मुसलमानो को निशाना बनाते है और इस्लाम को हमेशा से अत्याचारी, मार काट और शोषण वाला धर्म पेश करते है और आये दिन मुसलमानो पर अत्याचार करते है और आतंकवाद से मुसलमानो को जोड़ते हैं पर क्या ये नफरती दंगाई लोग धर्म का चोला ओढ़ कर, खुद को सच्चा धार्मिक और अधर्मियों अत्याचारियो का नाश करने वाला बताते है? लेकिन क्या आप इन तथाकथित धार्मिक लोगो की युगों से चली आ रही मार काट, अत्याचार, लूटमारी, बलात्कार और शोषण से आप अवगत है? इन वहशी दरिंदो दंगाईयो की हक़ीक़त जानते है?

तो आज में आपको बताता हु की किस तरह इनका अत्याचार बरसो से चला आ रहा है आधुनिक युग में भी ।

शुद्र या दलित से शुरू करते हैं जो गरीब पिछड़े लोग हैं इन्हें हमेशा से पिछडा रखा गया है यह भी इंसान है आम नागरिक है, खून का रंग भी लाल ही है पर क्या समानता है ? 
क्या भेदभाव से बचे हुए है?

दलित अंग्रेज़ी शब्द डिप्रेस्ड क्लास का हिन्दी अनुवाद है। डिप्रेस्ड क्लास की जनगणना 1911 में की गई, जिन्हें वर्तमान में अनुसूचित जातियां(SC ST) कहा जाता है। दलित का अर्थ पीड़ित, शोषित, दबाया हुआ एंव जिनका हक छीना गया हो होता है ।

मूल रूप से जानवर और इंसान में यही विशेष फर्क है कि पशु अपने विकास की बात नहीं सोच सकता, मनुष्य सोच सकता है और अपना विकास कर सकता है।
धार्मिक स्वर्ण लोगो ने दलित कास्ट को पशुओं से भी बदतर स्थिति में पहुँचा दिया है,

जातिवादी की आम परिभाषा ये है- जो व्यक्ति जाति के आधार पर ख़ुद को श्रेष्ठ और दूसरों को हीन समझे वह जातिवादी है.

दलित कब से ख़ुद को श्रेष्ठ समझने लगे कि वे जातिवादी हो गए? जाति के आधार पर होने वाले अन्याय ज़ुल्म का प्रतिकार अगर जातिवाद है तो न्याय और इंसानियत की गुंजाइश कहाँ है?

अंबेडकर मानते थे कि अगर हिंदूराष्ट्र भारत बना तो वह दलितों के लिए अंग्रेज़ी राज के मुक़ाबले कहीं अधिक क्रूर होगा, उन्होंने बीसियों बार इस आशंका के प्रति आगाह किया था.

पैदाइश की बुनियाद पर होने वाले अपमान-अन्याय-अत्याचार को धर्म और संस्कृति मानना, उन्हें सामान्य नियम बताकर उनका पालन करना, और पालन न करने वालों को 'दंडित' करना, ये सब संविधान और क़ानूनों के बावजूद आज भी सनातन चलन में है और हम इस आधुनिक युग में देख रहे हे ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से हिंदू एकता का हिमायती रहा है, वह जातियों में बँटे हिंदुओं को एक राजनीतिक शक्ति बनाना चाहता है ताकि वैसा हिंदू राष्ट्र बन सके जो उनकी सबल, स्वाभिमानी और गौरवशाली राष्ट्र की कल्पना है.

संघ को दलितों का भी साथ चाहिए लेकिन वह हिंदू धर्म के वर्णाश्रम विधान के ख़िलाफ़ क़तई नहीं है नाही कोई ऐसा प्रचार करते पाये जाते हैं, संघ से जुड़े अनेक बुद्धिजीवियो और नेताओं ने जाति पर आधारित व्यवस्थित अन्याय, जुर्म, अत्याचार के लिए कभी अँग्रेज़ों को, कभी मुसलमानों को ज़िम्मेदार बताया, लेकिन सामाजिक न्याय की ज़िम्मेदारी ख़ुद कभी स्वीकार नहीं की, बल्कि उनकी कोशिश जाति पर आधारित अन्याय को ही झुठलाने और बदनाम करने की रही।।

आजादी के समय से ही आंकड़ों को देखा जाए तो हमे मालूम होता है की दलितों का नरसंहार सेकड़ो नही हजारो बार हुआ हे और स्वर्ण आतंकियों ने हजारो पिछड़े लोगो दलितो को मारा है

विकिपीडिया पर पढ़ सकते हे आप 1948 से लेकर 2019 तक 
 

फ़रवरी 2020 NCRB की रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश और गुजरात में सबसे ज्यादा बलात्कार, मारकाट और अत्याचार दलितों पर किया गया-

आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 2014 से 2018 तक 47% की पर्याप्त वृद्धि हुई है, गुजरात में दलितों के खिलाफ 26%, हरियाणा में 15%, मध्य प्रदेश में 14% और महाराष्ट्र में 11% की वृद्धि हुई है। विडंबना यह है कि इन वर्षों में इन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शासन था।



देश के वीर जवान सेनिको पर भी शोषण किया और वही कानपूर में 30 से ज्यादा पर अत्याचार हुए !

2016 की HindustanTimes की रिपोर्ट अनुसार उत्तरप्रदेश टॉप लिस्ट में और गुजरात 2nd नम्बर आता हे और Cases को देखा जाए तो 2015-16 तक 8946 केस रिकॉर्ड किये गए-


National Herald India की रिपोर्ट अनुसार 2014 के बाद अधिक शोषण किया गए और National Crime Record Bureau  द्वारा आंकड़े भी बताये गए -


औसत प्रतिशत देखा जाए तो दलितों पर 746% अत्याचार, मारपीट और बलात्कार जैसी घटना और बढ़ी है।

हमारे देश में दलितों पर अत्‍याचार (Atrocities against SCs) की ऐसी घटनाएं समय समय पर सामने आती रहती हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्‍यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में दलितों पर अत्याचार के 42793 मामले दर्ज हुए। 2017 में यह आंकड़ा 43,203 का था, जबकि 2016 में दलितों पर अत्‍याचार के 40,801 मामले दर्ज किए गए।


NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 2018 में 11924 मामले दर्ज हुए। यूपी के बाद बिहार दूसरे नंबर पर था, जहां दलित अत्‍याचार के 7061 मामले दर्ज हुए। यूपी और बिहार के बाद मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में सबसे ज्‍यादा मामले दर्ज किए गए हैं। मध्‍य प्रदेश में 4753 मामले और राजस्‍थान में 4607 मामले दर्ज हुए थे।
Human Rights Watch(HRW) की रिपोर्ट(world report 2019) को भी देखिये- किस तरह पिछड़े और माइनॉरिटीज पर जुल्म और अत्याचार पर खेद जताया गया हे worldwide आलोचना की गयी-


19 मई 2019 को Indian Express में छपे आर्टिकल में NCRB की रिपोर्ट अनुसार हर दिन भारत में 4 दलित औरतो का रेप होता हे और 23% दलित और माइनॉरिटीज औरते होती हे -


लॉजिकल इंडिया ने भी इस पर लिखा है


बच्चियो से लेकर जवान औरतो तक का शोषण छेड़-छाड़ बलात्कार स्वर्ण लोगो द्वारा होता हे-


The Hindu में छपे आर्टिकल के अनुसार 65% प्रतिशत दलितों पिछडो का शोषण होता आ रहा हे- पढ़िये-


India Exclusion Report 2013-14 और National Crime Records Bureau  और official statistics  के अनुसार 2007-2017 तक 66 प्रतिशत अत्याचार दलितों पर हुआ है और हर 15 मिनट्स में अत्याचार होता है -- रिपोर्ट पढ़िये ,आप दंग रह जायगे -


कुछ उदाहरण -
Hindu Terrorism unleashed on non Hindus and Dalits, in last three days three persons have been murdered.

10 June, 2020 17-year-old Dalit boy shot dead for entering UP temple

10 June, 2020 Father Alleges Son Killed for Converting to Christianity in Odisha


9 June, 2020 Pregnant woman in Telangana allegedly killed by parents for relationship with OBC man




उदाहरण बहुत से है, जिनमे अभी तक आंकड़ो को कलेक्ट(संकलित)करके गिनती की जाए तो लाखो दलितों का नरसंहार और शोषण बलात्कार अत्याचार हुआ है, कश्मीरी पंडितो की दुहाई देने वाले गरीब निचली जाती के मूलनिवासी लोगो और अल्पसंख्यको के लिये कभी आंसू नही बहाते, ऐसा क्यों?

मुसलमानो को बदनाम करने वाले और अत्याचार करने वाले, क्या यह सब उच्चकोटि के लोग अपने गिरेबान में झांकेंगे??
क्या इनका रवैया करतुते, शोषण किसी राक्षक जंगली जानवर की तरह नही हे?

दलित औरतों को खेत मे घसीट कर ले जाते हैं  और बलात्कर कर देते है ये इनके लिए उचित है लेकिन उनसे शादी करने पर पाप लगता है ऐसा क्यों है?

जब कोई दलित घोड़े पर बैठ कर अपनी शादी करता है तो उस पे पत्थर फेंके जाते हैं, ऐसा क्यों?

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