Monday, 21 December 2015

चाँद का टूटना एक वैज्ञानिक तथ्य..@

☆ चाँद के टूटने के विश्वास से सिद्ध होते है
वैज्ञानिक तथ्य …
बहुत समय से गैर मुस्लिम भाईयों को मुस्लिमों के
इस विश्वास का मजाक उडाते देख रहा हूँ कि
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने चांद के दो
टुकड़े कर दिए थे ..
ये लोग कहते हैं कि मुसलमान बार बार इस्लाम
धर्म को विज्ञान पर खरा उतरने वाला धर्म
बताते हैं, पर इस्लाम मे वर्णित चांद के तोड़ने और
नबी के द्वारा बिना किसी विमान के आकाश
की सैर जैसी इन अवैज्ञानिक बातों के जरिए
इस्लाम भी झूठ और अंधविश्वास ही फैलाता है …
पहली बात तो हम इन भाईयों से यही कहेंगे कि
इस्लाम को फैलाने के लिए अल्लाह और रसूल
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने चमत्कार दिखाने
का सहारा नही लिया बल्कि इस्लाम फैला
अपने उच्च नैतिक नियमों के कारण …. लेकिन आप
कुरान और हदीस पढ़ेन्गे तो पाएंगे कि नबी
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का चमत्कार न
दिखाना भी कुफ्फार की नजरों मे नबी
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के झूठे होने का
प्रमाण था और ये कुफ्फार लोगों को ये कह कहकर
भड़काया करते थे कि ये कैसा नबी है जो
साधारण आदमियों की तरह बाजारों मे घूमता
फिरता है, यदि ये वास्तव मे नबी होता तो
अल्लाह ने इसके साथ एक फरिश्ता रखा होता
और ये चमत्कार दिखाता होता इस कारण, कुछ
एक चमत्कार जो अल्लाह के हुक्म से नबी
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दिखाए, वे एक तो
इसलिए ताकि कुफ्फार के आरोपों को झुठलाया
जा सके,
और दूसरा कारण ये कि वे गैर मुस्लिम जो चमत्कार
को ही ईश्वर की निशानी मानते थे और सम्मोहन
करने वाले जादूगरो के जादू के कारण ही उन्हें
ईश्वर का साथी मानने लगे थे, वे लोग भी अल्लाह
के द्वारा किए गए सच्चे चमत्कार को देखकर ये
जान लें कि मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)
को ईश्वर का सच्चा साथ प्राप्त है …
चांद के दो टुकड़े करने के लिए भी कुफ्फारे मक्का
ने प्यारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को
बहुत उकसाया और ये वादे किए कि अगर मोहम्मद
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सच्चे हैं और सचमुच
अल्लाह के रसूल हैं, तो वे चांद को तोड़कर दिखा
दें, फिर हम इनका नबी होना तस्लीम कर लेंगे और
मुसलमान हो जाएंगे …
अल्लाह और उसके नबी जानते थे कि कुफ्फार के ये
दावे और वादे सिर्फ नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व
सल्लम) को झूठा साबित करने की नीयत से किए
गए हैं, इस्लाम कुबूल करने की नीयत से नहीं …
लेकिन यहाँ नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)
की सच्चाई को दांव पर लगाया गया था सो
अल्लाह की मर्ज़ी से नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व
सल्लम) ने उंगलियों के इशारे से चांद के दो टुकड़े कर
के अपनी सच्चाई का सबूत भी कुफ्फार को
दिया, और कुफ्फार का ये झूठ भी दुनिया के
सामने ले आए कि चांद के टूटते ही वो मोहम्मद
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का नबी होना
तस्लीम कर के ईमान ले आएंगे ….
कुफ्फारे मक्का चांद के तोड़े जाने को जादू कहकर
इस सच से इनकार करने लगे, और न नबी (सल्लल्लाहु
अलैहि व सल्लम) को उन्होंने नबी तस्लीम किया,
न मुसलमानों को यातनाएँ देनी बंद कीं…
बहरहाल … चांद के दो टुकड़े होने का ये वाकया
सच्चा था ये हम आज भी पूरे दावे से कहते हैं … नबी
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) द्वारा चन्द्रमा के
तोड़े जाने की इस घटना ने कई वैज्ञानिक तथ्यों
को भी स्पष्ट कर दिया जिनकी पुष्टि आज भी
अंतरिक्ष विज्ञानी करते हैं…
» 1 – चांद को देखकर दुनिया मे पहले की
आबादियां उसे एक ठण्डी रौशनी का पुन्ज
समझती थीं जैसे सूरज एक गर्म प्रकाश पुंज है, और
रौशनी को न छुआ जा सकता है न ही तोड़ा जा
सकता है , इस्लाम से पहले चांद को कोई भी
व्यक्ति ऐसी ठोस वस्तु नहीं मानता था जिसे
स्पर्श किया जा सकता हो …. ये खयाल बीसवीं
शताब्दी तक लोगों मे बना रहा जब तक नील
आर्मस्ट्रांग ने चांद पर उतर कर ये साबित न किया
कि चांद मिट्टी और चट्टानों से बना एक
विशाल उपग्रह है … लेकिन चांद के तोड़े जाने के
वाकये से इस्लाम ने 1400 साल पहले ही ये सिद्ध
कर दिया कि चांद एक ठोस आकाशीय संरचना है

» 2 – पूरी दुनिया के लोगों मे चांद को देवता
या दैवीय शक्ति आदि मानने का भी चलन था
इस्लाम से पूर्व … लेकिन चांद को तोड़कर नबी
(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने ये सिद्ध किया
कि चांद एक ठोस निर्जीव आकाशीय पिण्ड से
अधिक कुछ नहीं और उसमें कोई दैवीय शक्ति नहीं,
और न ही वो कोई देवता है…. दुनिया भर के अनेक
गैर मुस्लिम अब तक चांद मे दैवीय शक्तियों का
वास समझते थे, लेकिन अपने इतिहास से लेकर आज
तक मुस्लिमों ने ऐसा अंधविश्वास चांद के विषय
मे कभी नहीं रखा ॥
» 3 – चांद के तोड़ने के मुस्लिमो के इस दावे ने इस
सम्भावना को भी दुनिया के सामने रखा कि
यदि 1400 वर्ष पहले चांद को तोड़कर जोड़ा गया
था, तो इस बात के चिन्ह आज भी चांद की सतह
पर मिलने चाहिए,
आज हमारे पास NASA द्वारा लिये गये चांद की
सतह के कुछ चित्र हैं, जिनमें चांद की सतह पर एक
विशाल दरार दिखाई पड़ रही है …. जैसे किसी
टूटी हुई चीज़ दोबारा जोड़कर रखने पर बन जाती
है ….. हम जानते है कि विरोधी इस दरार के
चन्द्रमा की सतह पर होने के भी अलग अलग
कयास निकालेंगे पर चांद के टूटने की बात नहीं
मानेंगे… पर इस्लाम मे चांद के टूटने के विश्वास का
मजाक ये लोग तब उड़ा सकते थे जब चांद पर ऐसी
कोई दरार न मिली होती ….. इस दरार के पाये
जाने के बावजूद यदि लोग चांद के टूटने की
सम्भावना पर विचार न करें तो इसे उन लोगों के
पूर्वाग्रह का ही परिणाम कहा जाएगा…
बहरहाल जो लोग चांद के टूटने को इस्लाम का
अंधविश्वास साबित करना चाहते हैं, वे अपनी इस
बात कि चांद कभी नहीं टूटा था को सिद्ध करने
का कोई प्रमाण नहीं दे सकते …. लेकिन चांद टूटा
था इस बात का एक बड़ा प्रमाण मुस्लिमों के
पास अवश्य है !!

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