Saturday, 1 August 2015
क्या इस्लाम मे स्त्री को कहीं मुफ़्ती खलीफा बादशाह ऐसा कुछ बनाने की मनाही हे ...?
गैर मुस्लिमों और अशिक्षित मुस्लिमों के बीच
भी ये भ्रम फैला हुआ है कि इस्लाम स्त्रियों को
केवल चूल्हे चौके, और पति और बच्चों तक
सीमित रखने का पक्षधर है और घर की
चारदीवारी के बाहर स्त्री की कल्पना इस्लाम
मे नहीं है .... इसी आशंका के साथ हमारे एक
मित्र ने प्रश्न किया था कि क्या इस्लाम मे
स्त्री को कहीं मुफ़्ती खलीफा बादशाह ऐसा कुछ
बनाने को लिखा हो तो उस पर प्रकाश
डालिए....
..... मै मानता हूँ, कि वास्तव मे इस्लामी ज्ञान
पर पुरुषवादी मानसिकता ने अनाधिकृत रूप से
अतिक्रमण कर रखा है, इसलिए ऐसे भ्रम पैदा
होते हैं कि इस्लाम स्त्रियों को बिल्कुल
स्वतंत्रता नहीं देता....
खैर ये भ्रम निरा भ्रम ही है, और इस्लाम ने
स्त्री को मां, बहन, बेटी, नर्स, गुरु और धर्म
गुरु, बिजनेस वुमेन और पत्नी की अनेक
भूमिकाओं मे पूरा सम्मान और असंख्य अधिकार
सौंपे हैं,
मां आएशा सिद्दीक़ा रज़ि. इस्लाम की बहुत बड़ी
और बहुत सम्मानित धर्म गुरु थीं, जिन्होंने पुरूषों
को भी उतनी ही कुशलता से धार्मिक ज्ञान
दिया जितनी कुशलता से स्त्रियों को,
नबी सल्ल. के ही समय मे जब काफिरों के
विरुद्ध मुस्लिमों को युद्ध करना पड़ता, तो
मुस्लिम स्त्रियाँ, पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा
मिलाकर जंग के मैदान मे जाती थीं, वहां वे
व्यवस्थापक और नर्सिग का काम करती थीं ....
नबी सल्ल. के ही समय से लेकर भारत के मुगल
शासन तक देख लीजिए, शासन प्रशासन और
राजनीति मे महिलाएं खासा दखल भी रखती थीं
और राजनीति को प्रभावित भी करती थीं,
भारत की पहली महिला शासक "रज़िया
सुल्तान" ही मुस्लिम थी, इसके पीछे भी इस्लाम
की ही प्रेरणा थी ..... रजिया का विरोध करने
वाले धर्मगुरूओ ने उसके महिला हो कर शासन
करने पर सवाल नहीं उठाया बल्कि ये ऐतराज
जताया था कि रजिया मर्दाना परिधान पहनकर
और घोड़े पर चढ़ाने की सेवा मे एक पर पुरुष
याकूत को नियुक्त कर के घोड़ा चढ़ते समय
याकूत का हाथ पकड़कर गैर इस्लामी कार्य
क्यों कर रही है .... ये बहाने इसलिए बनाए गए
क्योंकि इस्लाम किसी स्त्री को शासक बनाने
की मनाही नहीं करता, इसी कारण इस्लाम की
दुहाई देकर रजिया को कभी अपदस्थ नहीं किया
जा सका
इसके अतिरिक्त बहुत से ऐसे व्यवसाय हैं जो
इस्लाम केवल स्त्रियों से ही अपनाने की
अपेक्षा रखता है, जैसे स्त्री रोग विशेषज्ञ
डाक्टर, महिला कालेज की शिक्षिका, दाई, मौत
के बाद स्त्री को स्नान कराने वाली आदि
नबी सल्ल. की पवित्र पत्नी, मां हजरत खदीज़ा
रज़ि. मक्का की एक बड़ी व्यवसायी थीं ,
मुस्लिम औरतें अपना घर चलाने के लिए घर से
बाहर जाकर भी व्यवसाय किया करती थीं तो
इस्लाम की ही अनुमति से ... तो भाई इस्लाम को
जरा गलतफहमियों का चश्मा हटाकर, समझने की
दृष्टि से देखिए, काफी कुछ देखने को मिलेगा
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