Sunday, 2 August 2015
इस्लाम को बदनाम करने के लिए फेलाई गयी जूठ हदीश की समीक्षा पार्ट -2
कुछ हदीसो की गलत
तरीके से व्याख्या कर के ये सिद्ध करना चाहते
हैं कि इस्लाम मे पत्नी को पीटने की शिक्षा दी
गई है ... आइए देखें इन आरोपों मे कितनी
सत्यता है
1• पहला प्रमाण हदीस मे वाइफ बीटिंग का
दिखाया जाता है सही मुस्लिम 4/2127 मे मां
आएशा रज़ि. का ये बयान कि "नबी सल्ल. ने
मेरे सीने पर मारा, जिससे मुझे दर्द हुआ "
उत्तर - इतनी सी बात पढ़कर ऐसा ही लगता है
जैसे नबी सल्ल. ने माज़अल्लाह मां आएशा रज़ि.
को पीटा हो, परंतु जब आप ये हदीस पढ़ते हैं तो
पाएंगे कि यहाँ कोई विवाद नहीं हो रहा था
जिसमें मारपीट की नौबत आए, बल्कि अल्लाह
के आदेश पर रात को चुपचाप घर से निकले नबी
सल्ल. का पीछा मां आएशा रज़ि. ने किया था, ये
जानकर नबी सल्ल. को स्वाभाविक ही दुख हुआ
कि अपनी जिन पत्नी को नबी सल्ल. दिलोजान
से प्रेम करते थे उन पत्नी ने ही नबी सल्ल. की
जासूसी की, और इस हदीस की व्याख्या करते
हुए इमाम नानवी ने लिखा है कि शब्द "ल-ह-
दा" का सही अर्थ मारना नहीं बल्कि धकेलना है
तो नबी सल्ल. ने मलाल के तौर पर मां आएशा
को धक्का दिया जिससे मां आएशा को शारीरिक
पीड़ा नहीं बल्कि मानसिक पीड़ा हुई, पश्चाताप
स्वरूप
इस स्थान पर कोई मारपीट नहीं हुई थी इस बात
की पुष्टि बहुत बेहतर तरीके से अम्मी आएशा
रज़ि. के इस बयान से हो जाती है कि "नबी
सल्ल. ने कभी भी किसी को भी अपने हाथ से
नहीं मारा, सिवाय तब के जबकि आप सल्ल.
अल्लाह की राह मे जंग कर रहे थे, और न ही
कभी आप सल्ल. ने किसी गुलाम या किसी
स्त्री पर हाथ उठाया " (इब्ने माजाह, अल्बानी
ने इसे सही प्रमाणित किया)
2• दूसरी हदीस बुखारी 72/715 , कि "एक
स्त्री ने अपने पति द्वारा की गई पिटाई की
शिकायत मां आएशा से की तो नबी सल्ल. ने
उल्टा उस स्त्री को ही घर लौटकर अपने पति
की शारीरिक इच्छा की पूर्ति करने का आदेश
दिया "
उत्तर - यहाँ भी हदीस पढिए पहले ये स्त्री
आकर अपने पति की शिकायत मां आएशा रज़ि.
से करती है, लेकिन जब ये स्त्री अपने पति
समेत नबी सल्ल. के सम्मुख प्रस्तुत होती है तो
ये नहीं कहती कि उसका पति उसे पीटता है,
बल्कि वो स्त्री एक बड़ा और गम्भीर झूठ
बोलती है कि उसका पति नपुंसक है और उसके
लिए बेकार है ... लेकिन उसके पति के साथ मे
उस समय पति की दूसरी पत्नी से पैदा हुए पुत्र
थे, जिस कारण उस स्त्री का झूठ पकड़ा गया,
उस स्त्री के पति ने कहा कि मुझमे ऐसी कोई
कमी नहीं, बल्कि असल मे ये स्त्री मुझे तलाक
देकर अपने पूर्व पति से शादी करना चाहती है,
इसलिए मुझपर झूठे आरोप लगा रही है (ताकि
अदालत द्वारा उसे एकतरफा तलाक मिल जाए)
यहाँ ये भी प्रश्न उठता है कि यदि वो स्त्री
सचमुच पति द्वारा पिटाई से पीड़ित थी, तो पति
के नपुंसक होने का झूठ क्यों बोला, पति द्वारा
क्रूरता के आधार पर वो आसानी से खुला ले
सकती थी क्योंकि कुरान 4:128 और 2:229 मे
ये व्यवस्था है कि यदि पति से स्त्री को हानि
पहुंचने का भय हो तो वो तलाक (खुला) ले
सकती है ॥ पर उस स्त्री ने नबी सल्ल. के
सम्मुख ये बात नहीं उठाई, इससे तो यही सिद्ध
होता है कि पति द्वारा अत्याचार करने का
उसका आरोप भी उसी तरह झूठ था जैसे पति के
नपुंसक होने का आरोप झूठ था
.... उस स्त्री की मंशा जानकर नबी सल्ल. ने
उस स्त्री को ये समझाया कि यदि वो इस
प्रकार बिना सम्बन्ध बनाए दूसरे पति से खुला
ले भी लेगी, तो भी पहले पति से दोबारा विवाह
करना उसके लिए वैध नहीं होगा जब तक वो
किसी अन्य पुरुष से सम्बन्ध बनाने के बाद
तलाक नहीं ले लेती ... इस वैधानिक सलाह को
गलत अर्थ मे लेकर ये आरोप लगा दिया गया
कि नबी सल्ल. ने उस स्त्री को घर लौटकर
अपने पति की शारीरिक इच्छा पूर्ति करने का
आदेश दिया,
अब क्योंकि इस हदीस मे मारपीट के विषय मे
पति पत्नी ने कोई बात ही न की इसलिए ये
कहना कतई न्यायोचित नहीं होगा कि नबी
सल्ल. ने मुस्लिम पतियों को अपनी पत्नियों को
पीटने की शिक्षा दी है.....
पत्नी को पीटने के विषय मे नबी सल्ल. ने क्या
फरमाया है वो आप अनेकों हदीसों मे पढ़ सकते
हैं कि नबी सल्ल. ने मुस्लिमों को स्पष्टत: हुक्म
दिया अपनी पत्नियों को पिटाई न करो (सुनन
अबू दाऊद, किताब-11, हदीस-2137, 2138
और 2139 )
3• मुस्लिम 9/3506, "नबी को प्रसन्न करने
के लिए हज़रत अबूबक्र रज़ि. और उमर रज़ि. ने
अपनी पुत्रियों (नबी सल्ल. की पत्नियों ) को
थप्पड़ मारे, जिसपर नबी सल्ल. हंसे ॥"
उत्तर - इसी हदीस मे लिखा है कि ये एक
स्वांग था न कि कोई गम्भीर विवाद, नबी सल्ल.
अपनी पत्नियों के साथ उदास बैठे थे अत: जब
वहाँ हज़रत अबूबक्र और हज़रत उमर रज़ि. पहुंचे
तो माहौल को बोझिल देखकर हज़रत उमर ने
मज़ाक करने की सोची और इस मज़ाक मे हज़रत
अबूबक्र भी शामिल हो गए, और अपनी बेटियों
को चपत लगाने का केवल नाटक किया, ऐसी
हंसी मज़ाक को वाइफ बीटिंग को अनुमति कोई
कैसे समझ सकता है ??
4 और 5• अबू दाऊद 11/2141 मे नबी सल्ल.
ने पत्नियों को पीटने की अनुमति दी और अबू
दाऊद 11/2142 के अनुसार हजरत उमर रज़ि.
ने फरमाया कि नबी सल्ल. ने फरमाया कि एक
पति से इस बात का प्रश्न नहीं किया जाएगा
कि उसे अपनी पत्नी को क्यों पीटा "
उत्तर - अबू दाऊद 11/2141 मे लिखा है कि
नबी सल्ल. मुस्लिमो से फरमाते थे कि अल्लाह
की भक्तों (पत्नियों) को न पीटो, इस पर हज़रत
उमर रज़ि. ने आशंका व्यक्त की कि यदि इस
तरह स्त्रियों को अपने पतियों से सख्त
व्यवहार का बिल्कुल भी भय नहीं रह जाएगा तो
वे बहुत से अनैतिक कार्य करने से भी नहीं डरेंगी
तब अति गम्भीर मामलों यथा व्यभिचारोन्मत्त
ता आदि के मामलों मे परिवार टूटने से बचाने को
नबी सल्ल. ने पति को थोड़ा सख्त व्यवहार
अपनाने की अनुमति दी है,
और अबू दाऊद शरीफ़ 11/2142 मे हज़रत उमर
का बयान भी इसकी पिछली हदीस यानी
11/2141 के परिप्रेक्ष्य मे ही है कि
व्यभिचार आदि के गम्भीर मामले मे यदि पति
पत्नी पर हलका दण्ड देने को हाथ उठाएगा तो
इस कारण पति पर पाप नहीं होगा ... लेकिन
कुरान 4:34 की अनुमति के अतिरिक्त यदि पति
अकारण ही पत्नी को पीटेगा, या छोटी मोटी
गलतियों पर पत्नी को प्रताड़ित करेगा तो जरूर
ही गम्भीर दण्ड का भागी होगा, ये बात कुरान
और अन्य हदीसों से भली भांति स्पष्ट है ॥
6• अबू दाऊद 11/2126 "एक पति को अपनी
पत्नी को छड़ी से मारने का आदेश नबी सल्ल. ने
दिया, क्योंकि वो स्त्री विवाह के पहले ही
गर्भवती थी किसी और पुरुष से "
उत्तर - इस हदीस मे स्पष्टत: पता चलता है
कि उस स्त्री को व्यभिचार का दण्ड दिया
जाने का आदेश था, न कि घरेलू हिंसा का आदेश
॥ शरीयत मे विवाह पूर्व व्यभिचार मे लिप्त
पाए जाने वाले स्त्री पुरूषों को सार्वजनिक तौर
पर 100 कोड़े मारने का दण्ड इसलिए निर्धारित
है ताकि समाज मे अव्यवस्था न फैले
लेकिन इसी हदीस मे उस व्यभिचारी स्त्री को
तन्हाई मे दण्डित करने और उसे व उसकी होने
वाली सन्तान को पाल लेने का आदेश नबी सल्ल.
ने देकर समाज मे उस स्त्री की मर्यादा भी रख
ली और उसे सम्मान से जीने का अधिकार भी
दिला दिया...
ज़रा सोचकर बताईए कौन से समाज के पुरुष
अपनी सुहागरात मे दुल्हन को गर्भवती पाकर
उसे छोड़ने की बजाय उसे अपना लेने लायक
दिल बड़ा कर सकते हैं ?? शायद ही कोई ॥
सार यही निकल कर आता है कि हदीस मे भी
पुरुष को कहीं भी अपनी पत्नी की पिटाई करने
की अनुमति नही है, और यदि कहीं व्यभिचार
आदि जैसे गम्भीर मामले मे पति को थोड़े सख्त
व्यवहार की अनुमति है तो वो हिंसा के लिए नहीं
बल्कि परिवार को टूटने से बचाने को है, परंतु
सामान्यतः पति को बर्दाश्त कर लेने और पत्नी
से भला व्यवहार करने की ही शिक्षा दी गई
है !!
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