Wednesday, 22 July 2015

इस्लाम को देखे ,मुसलमान को नही (सभी गैर मुस्लिम भाई बहन

पहली बात तो भाई आप मुसलमानों को देखकर इस्लाम की शिक्षा का अंदाजा न लगाएँ । क्योंकि अगर किसी व्यक्ति के कर्म से उसकी धर्म की शिक्षा का अंदाजा लगाया जाए तो हमारे पास भी महान आसाराम और ऐसी बहुत सी घटनाओं का उदाहरण है जिस से हम आपके धर्म पर ऊंगली उठा सकते हैं। पर हम ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि हमें निश्चित रूप से पता है कि कोई धर्म बुरा नहीं होता, हर धर्म सही रास्ता दिखाता है पर अगर उसके मानने वाले उस सही रास्ते पर न चले तो गलती उस माननेवाले की है, न की उसके धर्म की । और अगर आप इस्लाम को जानने के लिए किसी शख्स को देखना चाहते हैं तो सब से बेहतरीन शख्स है मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम, ■अब आते हैं आपके सवालों के जवाब पर उत्तर : 1. पहली बात तो मीडिया इस्लाम की ग़लत तस्वीर पेश करता है, इसका कुछ उदाहरण : (क) इस्लाम बेशक सबसे अच्छा धर्म है लेकिन असल बात यह है कि आज मीडिया की नकेल कुछ उन पश्चिम वालों के हाथों में है, जो इस्लाम से द्वेष व शत्रुता रखते हैं। मीडिया बराबर इस्लाम के विरुद्ध बातें प्रकाशित और प्रसारित करता है। वह या तो इस्लाम के विरुद्ध ग़लत सूचनाएँ उपलब्ध कराता है और इस्लाम से संबंधित ग़लत-सलत उद्धरण देता है या फिर किसी बात को जो मौजूद हो ग़लत दिशा देता और उछालता है । (ख) अगर कहीं बम फटने की कोई घटना होती है तो बग़ैर किसी प्रमाण के सबसे पहले किसी मुसलमान को दोषी ठहरा दिया जाता है। समाचार पत्रों में बड़ी-बड़ी सुर्खियों में उसे प्रकाशित किया जाता है। फिर जब आगे चलकर यह पता चलता है कि इस घटना के पीछे किसी मुसलमान के बजाए किसी ग़ैर-मुस्लिम का हाथ था तो इस ख़बर को पहले वाला महत्व नहीं दिया जाता और कभी-कभी, कोई छोटी-सी ख़बर दे दी जाती है। (ग) अगर कोई 50 साल का मुसलमान व्यक्ति 15 साल की मुसलमान लड़की से उसकी इजाज़त और मर्जी से शादी करता है तो यह ख़बर अख़बार के पहले पन्ने पर हेडलाइंस के तौर पे बड़े बड़े अक्षरों में प्रकाशित की जाती है। लेकिन अगर कोई 50 साल का गै़र-मुस्लिम व्यक्ति 6 साल की लड़की के साथ बलात्कार करता है तो इसकी ख़बर को अख़बार के अन्दर के पन्ने में संक्षिप्त समाचार के कॉलम में जगह मिलती है। प्रतिदिन अमेरिका में 2713 बलात्कार की घटनाएँ होती हैं लेकिन वे ख़बरों में नहीं आतीं क्योंकि अमेरिकियों के लिए इस प्रकार की चीज़ें जीवन-चर्चा में शामिल हो गई हैं। और बलात्कार और क्राइम के मामले मे अमेरिका नम्बर एक पर है, अधिक जानकारी के लिए लिंक : listtoptens.com/top-10-countries-with-highest-rape-crime/ 2. आप "कार (वाहन) को ड्राइवर से मत आँकिए"। अर्थात अगर आपको किसी कार के बारे में यह अंदाज़ा लगाना हो कि वह कितनी अच्छी है और फिर एक ऐसा शख़्स जिसे कार चलाना न आता हो लेकिन वह कार चलाए और कोई दुर्घटना हो जाए तो आप किसको दोष देंगे ? कार को या ड्राइवर को ? स्पष्ट है कि इसके लिए ड्राइवर को ही दोषी ठहराया जाएगा ।। इस बात का पता लगाने के लिए कि कार कितनी अच्छी है, कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति उसके ड्राइवर को नहीं देखता बल्कि उस कार की ख़ूबियों को देखता है। उसकी रफ़्तार क्या है ? ईंधन की खपत कैसी है ? सुरक्षात्मक उपायों से संबंधित क्या कुछ मौजूद है ? इत्यादि । अगर हम इस बात को स्वीकार भी कर लें कि मुसलमान बुरे होते हैं, तब भी हमें इस्लाम को उसके मानने वालों के आधार पर नहीं तौलना और परखना चाहिए। अगर आप सही अर्थ में इस्लाम की क्षमता को जानने और परखने की ख़ूबी रखते हैं तो आपको उसके उचित और प्रमाणित स्रोतों (क़ुरआन और सुन्नत) को सामने रखना चाहिए। 3. अंत में : इस्लाम को उसके सही अनुयायी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) के द्वारा जाँचिए और परखिए । अगर आप व्यावहारिक रूप से जानना चाहते हैं कि कार कितनी अच्छी है तो उसको चलाने पर एक माहिर कार ड्राइवर को नियुक्त कीजिए। इसी तरह सबसे बेहतर और इस्लाम पर अमल करने के लिहाज़ से सबसे अच्छा नमूना जिसके द्वारा आप इस्लाम की असल ख़ूबी को जान सकते हैं पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल॰) हैं, धन्यवाद ।।

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