क्या लॉजिकल है मुर्तीपुजा ? और आखिर हम क्या चाहते है ईश्वर से..
आम तौर पर कोई इस बात से इंकार नही कर सकता कि ईश्वर हर जगह सुनता है!और हर बात को जानता है..तब वह मदबूर तो नही कि उस तक अपनी भावना पहुँचाने को मुर्ती बनानी पडे आपकी भावना तो वह पहले ही जानता है!
तब यह कहा जायेकि हमे मुर्ती आदी प्रतीक की जरुरत है तब क्या ईश्वर को याद रखने के लिये ,तो हम अपनो को भी बिना मुरत के याद करते है, तो परमेश्वर को याद करने मे मुश्किल कहां,
तो ध्यान जमाने को जरुरत है! मतलब यह की वसवसों या बुरे ख्यालों से बचने के लिये , तब तो घुर कर देखें और दिल मे यह ख्याल भी रखा जाये की यह ईश्वर का रुप है..पर तब भोग और मुर्ती से मांगने कि जरुरत क्या है! और वसवसों से बचने के लिये भी तो उसकी मुरत के सामने भी उसके ईश्वर का प्रतीक होने यकीन रखना पडेगा, क्योकि सबसे बडा बुरा ख्याल तो यही है की वह मुरत जो ईश्वर है बोलता नही,हिलता नही, जब बात विश्वास की ही है तब मुर्ती पुजा की जरुरत है...आखिर लोग बेहतरिन धर्म छोड कर मुर्ती पुजा मे पडे ...
नन्दिता और नासिर कुरैशी...chandrawatn@radiffmail.com
Monday, 2 March 2015
क्या मुर्ती पुजा हक है?
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